केजीएमयू : डॉ. दुर्गेश द्विवेदी का ISMRM के वार्षिक सम्मेलन कार्यक्रम समिति में हुआ चयन

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के रेडियोडायाग्नोसी विभाग के डॉ. दुर्गेश द्विवेदी का अंतरराष्ट्रीय इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर मैग्नेटिक रेजनेंस इन मेडिसिन (ISMRM) के AMPC (वार्षिक सम्मेलन कार्यक्रम समिति) में चयन हुआ है। डॉ. दुर्गेश द्विवेदी पांचवें भारतीय है जिनका चयन वार्षिक सम्मेलन कार्यक्रम समिति में हुआ है।

दरअसल, AMPC (वार्षिक सम्मेलन कार्यक्रम समिति) अमेरिका की वह एजेंसी है। जो अंतरराष्ट्रीय इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर मैग्नेटिक रेजनेंस इन मेडिसिन (ISMRM) की बैठक कराती है। इस बैठक में दुनियाभर के प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों और रेडियोलॉजिस्ट हिस्सा लेते हैं। यही वह मंच है जहां पर मैग्नेटिक रेजनेंस इमेजिंग (MRI) के क्षेत्र में हुये नवीन शोध व तकनीक को प्रस्तुत किया जाता है। इसी जगह से उस शोध या तकनीक को मान्यता मिलती है। जिससे बीमारियों की सटीकता से जांच के लिए पूरी दुनिया में इस्तेमाल किया जाता है। इस पूरे सम्मेलन की कार्ययोजना बनाने की जिम्मेदारी AMPC (वार्षिक सम्मेलन कार्यक्रम समिति) के कंधो पर होती है। बता दें कि ISMRM विश्व का सबसे बड़ी वैज्ञानिक सम्मेलन है, जहां दुनिया भर के 6,000 से अधिक प्रतिष्ठित MRI वैज्ञानिक और रेडियोलॉजिस्ट हिस्सा लेने पहुंचते हैं।

बताया जा रहा है कि इस AMPC (वार्षिक सम्मेलन कार्यक्रम समिति) में करीब 15 एमआरआई विशेषज्ञों का चयन पूरी दुनिया से होता है। जिसमें ज्यादात अमेरिका और युरोप के विशेषज्ञ चुने जाते हैं। इस समिति में अभी तक महज 5 भारतीय विशेषज्ञों का ही चयन हो सका है, जिसमें से एक भारतीय केजीएमयू के डॉ. दुर्गेश द्विवेदी हैं।

यह पदभार उनकी विशेषज्ञता और कैंसर और MRI के क्षेत्र में उनके अभिनव शोध के चलते मिला है। DWI और PWI जैसी आधुनिक MRI विधियों के साथ आगे बढ़कर, और रेडियोमिक और रेडियोजेनोमिक्स जैसी आधुनिक छवि विश्लेषण विधियों को एकीकृत करके, डॉ. दुर्गेश द्विवेदी ने कैंसर निदान की समझ में योगदान दिया है और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में नई MRI तकनीकों की संभावना का प्रदर्शन किया है।

इस मान्यता का विशेष महत्व KGMU और भारत के लिए है क्योंकि इससे संस्थान के विज्ञानशीलता और अभिनव शोध व नवाचार की प्रतिष्ठा प्रकट होती है। डॉ. द्विवेदी का चयन भारतीय शोधकर्ताओं की वैश्विक मान्यता और उनके चिकित्सा इमेजिंग के क्षेत्र में योगदान की पुष्टि करता है। यह पदभार प्रसिद्ध संस्थानों से प्रमुख वैज्ञानिकों और रेडियोलॉजिस्टों के साथ सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिससे ज्ञान विनिमय होता है और चिकित्सा इमेजिंग की सीमाओं को बढ़ावा मिलता है। 

डॉ. द्विवेदी ने इस पद की मांगतात्मक प्रकृति को भी जोर दिया है, क्योंकि उन्हें प्रतिमाह समय का महत्वपूर्ण हिस्सा समर्पित करना होगा, ताकि उनके उद्देश्य समिति के लक्ष्यों के साथ संरचित हो सकें। इसके अलावा, उन्होंने हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, और शीर्ष यूरोपीय विश्वविद्यालयों जैसे प्रमुख संस्थानों के प्रमुख वैज्ञानिकों और रेडियोलॉजिस्टों के साथ जुड़ने के अवसर के प्रति उनकी उत्सुकता व्यक्त की है।

KGMU के कुलपति डॉ. बिपिन पुरी और रेडियोडायाग्नोसीस विभाग के प्रोफेसर अनित परिहार ने डॉ. दुर्गेश द्विवेदी की उपलब्धियों के लिए  प्रशंसा व्यक्त की है। उनका चयन केजीएमयू को न केवल गर्व प्रदान करता है, बल्कि यह संस्थान को चिकित्सा शोध और शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रशासनिक केंद्र के रूप में स्थानांतरित करता है। यह उद्दीपना उत्कृष्ट शोधकर्ताओं के लिए एक प्रेरणा है और वैश्विक मंच पर एमआरआई और कैंसर शोध में भारत की मौजूदगी और योगदानों को पुष्टि करता है।

क्या है MRI

मैग्नेटिक रेजनेंस इमेजिंग (MRI) एक शक्तिशाली चिकित्सा इमेजिंग तकनीक है जो शरीर की आंतरिक संरचनाओं की विस्तृत चित्रण उत्पन्न करने के लिए एक मजबूत चुम्बकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग करती है। MRI ने  चिकित्सा निदान के क्षेत्र में क्रांति ला दी है क्योंकि इसमें आयनिज़िंग विकिरण का उपयोग किए बिना उच्च-संकल्प चित्र प्रदान की जाती हैं। आधुनिक MRI तकनीक, जैसे कि Diffusion-Weighted Imaging (DWI) जो इश्केमिया और ट्यूमर के विकास का पता लगा सकती है और Perfusion-Weighted Imaging (PWI) जो ट्यूमर की संभाविता की जांच कर सकती है, पारंपरिक शरीरी इमेजिंग से आगे बढ़ती हैं।

ये आधुनिक MRI तकनीकें MRI की संभावनाओं को शरीरी अवधारणाओं का मूल्यांकन करने की सुविधा प्रदान करती हैं। शारीरिक और शारीरिक प्रक्रियाओं की जानकारी को मिलाकर, ये तकनीकें निदान, उपचार योजना और विभिन्न स्थितियों की मॉनिटरिंग की सटीकता को बढ़ाती हैं।

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