मलेरिया क्या है और लोग कैसे संक्रमित हुए, इस बीमारी को रोकने में कैसे मदद कर सकते हैं? 

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Published By Bhawna
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फ्लोरिडा। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने 26 जून 2023 को स्थानीय रूप से प्रसारित मलेरिया के पांच मामलों की पहचान की जो मई 2023 से लेकर इस अवधि तक सामने आए। इनमें चार मामले फ्लोरिडा के और एक मामला टेक्सास का है। वर्ष 2003 के बाद से अमेरिका में मच्छरों से फैलने वाली मलेरिया की बीमारी के स्थानीय प्रसार के ये पहले मामले हैं। इन मामलों के महत्व और वे अब क्यों सामने आ रहे हैं, इस बारे में फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. राजीव चौधरी ने बातचीत में बताया।

मलेरिया क्या है और लोग कैसे संक्रमित हुए? 
मलेरिया एक गंभीर और कभी-कभी जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली बीमारी है, जो एनोफिलीज प्रजाति की मादा मच्छर के काटने से होती है जो मलेरिया फैलाने वाले जीवों के संवाहक होते हैं। सबसे आम लक्षण बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान हैं। ये लक्षण आमतौर पर लोगों में परजीवी से संक्रमित होने के 10 से 15 दिन बाद दिखाई देते हैं। हालांकि, यदि उपचार न किया जाए, तो अधिक गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं जिनमें बेहोशी, सांस लेने में कठिनाई, शरीर में ऐंठन, असामान्य रक्तस्राव और बहुत कुछ, जो अंततः मृत्यु का कारण बन सकते हैं।

फ्लोरिडा और टेक्सास में पांच मामले प्लास्मोडियम विवैक्स परजीवी के कारण हुए, जो अफ्रीकी महाद्वीप के बाहर मलेरिया पैदा करने वाला सबसे आम परजीवी स्वरूप है। माना जाता है कि ये सभी मरीज स्थानीय रूप से संक्रमित हुए जिसका अभिप्राय है कि वे देश से बाहर नहीं गए थे। इसके अलावा, ये भी संकेत नहीं है कि ये संक्रमित दोनों राज्यों से जुड़े हैं। प्लाज़मोडियम विवैक्स विश्व स्तर पर सभी प्लाज़मोडियम उप प्रकारों में सबसे व्यापक और गंभीर है। यह अकसर घातक संक्रमण का कारण बनता है। बताया जा रहा है कि सभी पांच मरीज ठीक हो गए हैं, और अन्य संभावित मामलों की निगरानी जारी है। 

अब ये मामले क्यों सामने आ रहे हैं?
स्थानीय स्तर पर मलेरिया के मामलों के सामने आने के कई कारण हो सकते हैं। एक तो, जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की परिपाटी में आ रहा बदलाव है, जिसकी वजह से मलेरिया की स्थिति और खराब हो सकती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण औसत तापमान में वृद्धि से उन क्षेत्रों में मच्छरों के प्रवास में वृद्धि हो सकती है जो पहले एनोफिलिस मच्छरों के प्रतिकूल थे। उच्च तापमान मलेरिया के लिए जिम्मेदार परजीवियों की वृद्धि दर और संचरण क्षमता को भी बढ़ा सकते हैं। इनमें विवैक्स, नोलेसी और फाल्सीपेरम जैसे प्लास्मोडियम परजीवी के विभिन्न प्रकार शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से कई स्थानों पर अधिक वर्षा और समुद्र के स्तर में वृद्धि हो सकती है जिनकी वजह से विस्तृत क्षेत्रों में या खुले स्थान पर पानी जमा होने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है जो आम तौर पर मच्छरों के प्रभावी प्रजनन स्थल के रूप में काम करते हैं। 

स्थानीय परिस्थितियों में इन परिवर्तनों को देखते हुए, उन आबादी में अधिक मामले सामने आ सकते हैं जो पहले मलेरिया के प्रति "प्रतिरक्षात्मक रूप से अनुभवहीन" थी। दूसरे शब्दों में, चूंकि ये लोग कभी भी इसके संपर्क में नहीं आए हैं, इसलिए उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली इससे लड़ने के लिए तैयार नहीं है। इसके अलावा, जब लोग उन देशों या क्षेत्रों की यात्रा करते हैं जहां जलवायु जनित मलेरिया के मामले आते हैं, तो उनके जरिये वहां से संक्रमण अमेरिका के उन स्थानों पर ले जाने की अधिक आशंका है, जहां स्थानीय मच्छर संक्रमित व्यक्ति के रक्त में परजीवी के संपर्क में आ सकते हैं। अंत में, आर्टीमिसिनिन जैसी सामान्य मलेरिया-रोधी दवाओं के दुरुपयोग और अति प्रयोग के कारण, दुनिया के कई क्षेत्रों में रोगाणुओं में प्रतिरोधक क्षमता एक बड़ी समस्या बन गई है। इससे दवा-प्रतिरोधी मामलों की संख्या, बीमारी की गंभीरता और बड़े प्रकोप की आशंका बढ़ जाती है। एनोफेलीज मच्छरों में कीटनाशकों के प्रति उभरती प्रतिरोधक क्षमता के कारण समस्या और भी जटिल हो गई है। 

लोग मलेरिया प्रसार को रोकने में कैसे मदद कर सकते हैं? 
सीडीसी और फ्लोरिडा स्वास्थ्य विभाग लोगों से जीवाणु रोधक स्प्रे का उपयोग करके, मच्छरों के जमावड़े वाले क्षेत्रों से बचने और खुली त्वचा को ढककर खुद को बचाने का आग्रह कर रहे हैं। सावधानियों में वह भी शामिल है जिसे ‘‘नाली और ढक्कन’’ के रूप में जाना जाता है। दूसरे शब्दों में, मच्छरों को बढ़ने से रोकने के लिए जमे पानी को निकालना और मच्छरों को दरवाजे और खिड़कियों से प्रवेश करने से रोकने के लिए जाली का उपयोग करना। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक उन बर्तनों से पानी निकालना महत्वपूर्ण है जिनमें वर्षा का पानी एकत्र हो सकता है जैसे गमले, पुराने टायर और बाल्टियां। 

मलेरिया का क्या उपचार उपलब्ध है?
मलेरिया की रोकथाम और उपचार के लिए कई दवाओं का उपयोग किया जाता है। दवा का चयन आम तौर पर मलेरिया के प्रकार और मरीज पर निर्भर करता है, जैसे क्या मलेरिया परजीवी दवा के प्रति प्रतिरोधी है, मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति का वजन या उम्र और अगर महिला है तो क्या वह गर्भवती है। अधिकांश मलेरिया की दवाएं गोली के रूप में ली जाती हैं। सबसे आम में संयोजन चिकित्सा दवाएं शामिल हैं जिनमें आर्टीमिसिनिन नामक अर्ध-सिंथेटिक दवाओं का एक वर्ग शामिल है। ये मलेरिया परजीवियों के प्रोटीन को नुकसान पहुंचाकर उन्हें मारते हैं और आमतौर पर मलेरिया के खिलाफ सबसे प्रभावी उपचार है।

क्लोरोक्वीन फॉस्फेट, एक दवा है जिसका उपयोग दशकों से मलेरिया की रोकथाम और इलाज के लिए किया जा रहा है, अब प्लास्मोडियम विवैक्स के संक्रमण के इलाज के लिए इसकी सलाह दी जाती है, लेकिन केवल उन मामलों में जहां परजीवी अभी भी इस दवा के प्रति संवेदनशील है। अंत में, प्राइमाक्वीन है, जो मलेरिया-रोधी दवाओं का एक वर्ग है जिसे आम तौर पर संक्रमण की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए अन्य उपचार के पूरक के रूप में दिया जाता है। 

क्या मलेरिया के खिलाफ टीके उपलब्ध हैं? 
वर्तमान में दुनिया की आधी आबादी पर मलेरिया का खतरा है। दुनिया भर में लगभग 25 करोड़ मामले और 620,000 मौतें हुई हैं, जिनमें से ज्यादातर बच्चे हैं। इसलिए, अक्टूबर 2021 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मध्यम से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के लिए आरटीएस, एस/एएसओआई नामक मलेरिया टीके के व्यापक उपयोग की सिफारिश करनी शुरू की। यह पहला टीका है जो मानव में परजीवी संक्रमण के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है। परीक्षणों से पता चलता है कि टीका छोटे बच्चों में गंभीर मलेरिया सहित मलेरिया की बीमारी को काफी हद तक कम कर सकता है।

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के एक समूह ने सितंबर 2022 में इस टीके के एक संशोधित संस्करण, जिसे आर21 कहा जाता बनाने की घोषणा की। प्रारंभिक चरण के नैदानिक ​​परीक्षण से पता चला कि नया टीका छोटे बच्चों में बीमारी को रोकने में 80 प्रतिशत तक प्रभावी है। हालांकि, इस नए टीके का वास्तविक परिस्थितियों में परीक्षण अभी भी जारी है। मलेरिया के नए टीके दुनिया भर में मलेरिया पर अंकुश लगाने में कारगर साबित होंगे। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के लिए अन्य निवारक रणनीतियों पर जोर देना महत्वपूर्ण होगा, खासकर फ्लोरिडा और टेक्सास जैसे नए प्रभावित क्षेत्रों में। 

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