रायबरेली: 6.50 करोड़ की लागत से बदलेगी श्री राम जानकी मंदिर की तस्वीर
पर्यटन विभाग ने ग्राउंड फ्लोर प्लान तैयार कर शुरू किया सुदंरीकरण व निर्माण कार्य, दूधिया रोशनी से जगमग होगा मंदिर परिसर एवं सरोवर
शिवगढ़, रायबरेली, अमृत विचार। देहली कस्बे में स्थित प्रसिद्ध श्रीराम जानकी मन्दिर का 6.50 करोड़ की लागत से पर्यटन विभाग द्वारा सुंदरीकरण कराया जाएगा। पर्यटन विभाग ने पर्यटन स्थल सुंदरीकरण परियोजना अन्तर्गत श्री राम परिपथ योजना उत्तर प्रदेश के तहत ग्राउंड फ्लोर प्लान तैयार कर मंदिर परिसर में सौंदर्यीकरण का कार्य प्रारम्भ करा दिया है।
ज्ञात हो कि देहली कस्बे के रहने वाले परशुराम सेना के प्रदेश अध्यक्ष दीपक दीक्षित ने जीर्ण- शीर्ण हो चुके श्री राम-जानकी मंदिर देहली के सुंदरीकरण के लिए प्रयास करते हुए पर्यटन विभाग को पत्र लिखा था। पर्यटन विभाग ने जिसकी रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को रिपोर्ट भेजी गई थी। मुख्यमंत्री की संस्तुति मिलने के बाद पर्यटन विभाग ने श्री राम जानकी मंदिर परिसर का ग्राउंड फ्लोर प्लान तैयार कर सुंदरीकरण का कार्य प्रारंभ करा दिया है।
पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर परिसर में महिला एवं पुरुष सार्वजनिक शौचालय, महिला एवं पुरुष धर्मशाला, श्री राम जानकी मंदिर का जीर्णोद्धार एवं प्रकाश व्यवस्था, कृत्रिम जल प्रवाह कूप का निर्माण, तालाब का सुंदरीकरण, क्रीडास्थल का निर्माण, पुजारी हेतु आवासीय परिसर, चौकीदार हेतु आवासीय परिसर का निर्माण कराया जाएगा। परशुराम सेना के प्रदेश अध्यक्ष दीपक दीक्षित ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व पर्यटन विभाग के प्रति आभार प्रकट किया है। ग्रामीण दीपक दीक्षित की जमकर सराहना रहे हैं।
देहली राज परिवार ने कराया था मंदिर का निर्माण
श्री राम जानकी मंदिर निर्माण का शुभारंभ देहली रियासत के तालुकेदार स्वर्गीय बाबू जगन्नाथ बख्श सिंह द्वारा किया गया था। जिनके पश्चात रामजानकी ठाकुरद्वारा का निर्माण उनकी धर्मपत्नी बबुआईन बब्बन कुंवरि तालुकेदारिया ने अपनी स्वर्गीय पुत्री रानी ललित राज कुमारी की पूण्य स्मृति में संवत 2018 चैत शुक्ल पक्ष नवमी तदनुसार 13 अप्रैल 1962 ईसवी में कराया था।
समय-समय पर मन्दिर की देख-रेख उनके परिवार एवं ग्रामीणों द्वारा की जाती रही। धीरे-धीरे समय ढलते मंदिर परिसर में चूना पत्थर से बनी बजरंगबली आदि देवी देवताओं का भव्य प्राचीन कालीन मंदिर वर्षों पूर्व पेड़ गिरने से क्षतिग्रस्त होकर मलबे में तब्दील हो गया था। जिसके अवशेष मंदिर के पास पड़े हुए हैं।
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