रायबरेली : विकास के खोखले दावे की तस्वीर है महराजगंज-इंन्हौना मार्ग, पूर्व विधायक ने CM से की निर्माण की मांग 

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Published By Jagat Mishra
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हर दिन 130 गांवों के बच्चों और ग्रामीणों को उठाना पड़ता खतरा 

महराजगंज/ रायबरेली, अमृत विचार। लोगों को सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैय्या हो सकें। जिसके लिए शासन से भारी-भरकम  सालाना बजट स्वीकृत होता है। वहीं दो  जिलों को जोड़ने वाला महराजगंज-इंन्हौना मुख्य सड़क मार्ग की बदहाल दशा व्यवस्था पर सवाल खड़ी करती है। यह मार्ग न केवल अमेठी और रायबरेली को जोड़ता है बल्कि अयोध्या तक को रायबरेली से लिंक करता है। इस मार्ग से 130 गांवों की करीब 80 हजार की आबादी आवागमन करती है। वहीं हर दिन स्कूली बच्चों को खतरा उठाकर उससे गुजरना पड़ता है। सड़क की दशा सुधारने के लिए कई बार धरना-प्रदर्शन किया गया लेकिन मामला का जस का तस है। विधायक ने मामले को सदन में उठाया तो मंत्री ने बजट पास होने का जवाब दे दिया लेकिन बजट का पैसा कब आएगा। यह किसी को पता नहीं है। हालांकि मामला मुख्यमंत्री तक भी पहुंचाया गया है।
 
विकास की बात हर तरफ हो रही है। सरकार के मंत्री से लेकर अधिकारी तक विकास की बात कह रहे हैं लेकिन महराजगंज-इन्हौना मार्ग वर्षों से खस्ताहाल है। इस पर किसी की नजर नहीं पड़ी है। यह सड़क बता रही है कि जिले में विकास शब्द कागजी कोरम और व्यवस्था के खोखले दावों में सिमटकर रह गया है। सोचने वाली बात है कि दो वर्ष से सड़क बदहाल है और अभी तक इसकी दशा नहीं सुधर सकी। 

बताया जाता है कि इस सड़क मार्ग पर बसे गांवों में बच्चों को जूनियर कक्षाओं के बाद हाई स्कूल, इंटरमीडिएट व स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के लिए संसाधनों का अभाव है। ग्रामीण अपने बच्चों को महराजगंज में उच्च कक्षाओं में पढ़ने के लिए भेजते हैं। गांव के बच्चों को महराजगंज कस्बे तक आने के लिए इंन्हौना-महराजगंज मुख्य सड़क मार्ग से ही आने का जरिया है। सड़क साल 2021 से खराब पड़ी है। अब तक कई बार शासन तक धरना प्रदर्शन, भूख हड़ताल व अन्य तरीकों से जीर्णोद्धार की मुहिम चलाई गई। फिर भी प्रशासन की उदासीनता के कारण इसका निर्माण कार्य नहीं कराया जा रहा है।

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अमेठी और रायबरेली को मुख्य रूप से जोड़ने वाली 27 किलोमीटर लंबी इस सड़क से रोजाना हजारों वाहन तथा 10 ग्राम पंचायतों के 130 गांवों से स्कूली छात्र व लोग अपनी रोजमर्रा के काम के साथ जिला मुख्यालय तक इसी कीचड़ व घुटनों तक भरे पानी से आने जाने को मजबूर हैं। कैर, कुशमहुरा, मोन, ज्योना, मुरैनी, मऊ, कैड़ावा, अंदूपुर, ताजुद्दीनपुर , पूरे अचली सहित एक दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों के सैकड़ों गांवों की  लगभग 80 हजार की आबादी से करीब  तीन हजार स्कूली छात्र महराजगंज आते हैं। यही नहीं इन गांवों में बने सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों का भी आवागमन इसी सड़क से होता है। जबकि बीते 18 जून को पूर्व विधायक रामलाल अकेला ने मुख्यमंत्री से मिलकर सड़क निर्माण की मांग को लेकर पत्र दिया है।

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