मिशन 2024 : तमिल से दक्षिण में एंट्री मार सकते हैं मोदी, वाराणसी के अलावा रामनाथपुरम से भी लड़ना संभव

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Published By Nitesh Mishra
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तमिल से दक्षिण में मोदी एंट्री मार सकते हैं।

तमिल से दक्षिण में मोदी एंट्री मार सकते हैं। वाराणसी के अलावा रामनाथपुरम से भी लड़ना संभव है। हिंदू बहुल लोकसभा क्षेत्र होने का भाजपा लाभ ले सकती है।

नई दिल्ली, [महेश शर्मा]। लोकसभा चुनाव 2024 में दक्षिण भारत में प्रभावी ढ़ंग से पैठ बनाने की रणनीति पर मंथन किया जा रहा है। देश के इस हिस्से में भाजपा अबकी कमजोर नहीं दिखना चाहती है। तमिल भूमि से लाए गए सेंगोल की नये संसद भवन में स्थापना से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को उम्मीद के दरवाजे खुलते दिखाई देने लगे हैं।
 
संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। रणनीतिकार रामनाथपुरम भाजपा के लिए फीलगुड मानते हैं। मोदी के वहां से लड़ने से आसपास की सीटों पर असर पड़ सकता है। दूसरे यह कि भाजपा की दक्षिण भारत में धमाकेदार एंट्री भी हो सकती है। बहरहाल मोदी को 2014 की तरह दो सीटों से लड़ाने की चुनावी रणनीति पर मंथन जारी है।
 
प्रधानमंत्री मोदी 2014 में वाराणसी और वडोदरा लोकसभा सीट से लड़े थे। बाद में उन्होंने वडोदरा से इस्तीफा दे दिया था। वह वाराणसी से सांसद हैं। सेंगोल नए संसद भवन में स्थापित करने से तमिलियंस पर सकारात्मक असर भाजपा को दिख रहा है। तमिलनाडु में 39 सीटें हैं। भाजपा को वहां एआईडीएमके व उसके सहयोगी दलों का समर्थन प्राप्त है। शशिकला और उनके समर्थकों तथा एएमएमके भी पार्टी का साथ दे सकते हैं। मोदी के वहां से लड़ने पर तमिलनाडु व दक्षिण भारत में भाजपा को बल मिलेगा।
 
रामनाथपुरम से 2019 में डीएमके के समर्थन से आईयूएमएल प्रत्याशी ने विजय हासिल की थी। उसे 4,69,943 वोट जबकि भाजपा को 3,42,821 वोट मिले थे। यह हिंदू बहुल सीट है। पिछली (2011) की जनगणना को देखें रामनाथपुरम में 76.39 फीसदी हिंदू और 19.77 फीसदी मुस्लिम मतदाता है। इनके अलावा ईसाई, सिख और अन्य धर्मों के भी लोग हैं पर चुनावी राजनीति में ज्यादा प्रभावी नहीं हैं। हिंदू से जुड़े मुद्दों में समर्थन प्राप्त करने में भाजपा को एआईडीएमके और उसकी सहयोगी दलों का भी समर्थन मिलेगा।
 
पार्टी के भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि भाजपा की तमिलनाडु इकाई के साथ ही संगठन के वरिष्ठ नेताओं का भी यही मानना है कि मोदी को रामनाथपुरम से लड़ाने का लाभ पार्टी को मिलेगा। मोदी यदि यह कदम उठाते हैं कि राज्य के लोगों में भाजपा के पक्ष में संदेश जाएगा।  हालांकि कहा जाता है कि भाजपा का विरोध एआईडीएमके को नुकसान पहुंचाता रहा है। भाषा, संस्कृति और तमिल पहचान पर भाजपा को लेकर राज्य के अधिकांश लोगों की ऐसी धारणा रही है। विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाजपा मुश्किल से तमिलनाडु में मौजूदगी दर्ज करा सकी है।
 
भाजपा का धार्मिक और हिंदुत्व एजेंडा इस राज्य में कारगर नहीं हो पाया। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी द्रविड़ियन राजनीति में बदलाव लाना चाहती है। राज्य में भाजपा अध्यक्ष के.अन्नामलई की मेहनत रंग लाती दिखने लगी है। राज्य के अध्यक्ष अन्नामलाई ने एक एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि मोदी जी को तमिलनाडु में एक अंदरूनी व्यक्ति के रूप में देखा जाता है। लोग चाहते हैंकि मोदी जी रामनाथ पुरम से चुनाव लड़ें।
 
पुरी से लड़ने की अटकलें
 
शैव क्षेत्र वाराणसी के साथ ही वैष्णव क्षेत्र जगन्नाथधाम पुरी से भी मोदी के लड़ने की अटकलों का बाजार राजनीतिक हल्कों में गरम है। 2019 में तो लगभग माना जा रहा था कि वाराणसी से साथ ही मोदी जी पुरी से परचा दाखिल कर सकते हैं। पर ऐन मौके पर टिकट संबित पात्रा को दी गयी। संबित बीजेडी के पिनाकी मिश्रा से चुनाव हार गए थे। अबकी तमिलनाडु की रामनाथपुरम के बाद पुरी संसदीय सीट ऐसी है जहां से मोदी के लड़ने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं।

 

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