बरेली: बदलेगा सराय एक्ट, अभी रजिस्ट्रेशन न कराएं होटेलियर
बरेली, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर 156 साल पुराने सराय एक्ट में शासन स्तर पर संशोधन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस संबंध में पर्यटन विभाग के महानिदेशक की ओर से पत्र जारी किए जाने के बाद होटेलियर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने सभी होटेलियर को फिलहाल इस एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन न कराने को कहा है। कुछ ही दिन पहले प्रशासन की और से होटल वालों की बैठक बुलाकर जल्द रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश दिया गया था।
मैनपुरी के होटल मालिक तोताराम यादव की याचिका पर हाईकोर्ट ने सराय एक्ट में बदलाव का आदेश दिया है। इसके बाद पर्यटन महानिदेशक की ओर से सराय एक्ट में संशोधन के लिए पत्र भेजा गया है। कहा जा रहा है कि एक्ट में बदलाव से होटेलियर को रजिस्ट्रेशन कराने में सहूलियत मिलेगी। बता दें कि होटल, गेस्ट हाउस, लॉन को चलाने के लिए सराय एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है। यह कानून 1867 में ब्रिटिश हुकूमत ने बनाया था। 156 साल पुराना यह कानून अब लगभग निष्प्रभावी हो चुका है।
इस संबंध में याचिका दायर होने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जरूरत के मुताबिक इस एक्ट में संशोधन का आदेश दिया है। इस पर महानिदेशक पर्यटन ने संयुक्त सचिव गृह पुलिस अनुभाग को भेजे पत्र में कहा है कि पुराने एक्ट में बदलाव पर्यटन क्षेत्र के लिए अनुकूल होगा। पर्यटन विभाग को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी मनीष सिंह ने बताया कि रजिस्ट्रेशन सभी को कराना होगा। एक्ट में क्या बदलाव होंगे, अभी यह स्पष्ट नहीं है।
महानिदेशक का पत्र जारी होने के बाद शनिवार को होटेलियर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अनुराग सक्सेना ने सभी होटलियर से अपील की है कि यूपी सरकार नया होटल एवं अन्य संपूरक आवास अधिनियम 2023 पास करने जा रही है। इससे होटल का रजिस्ट्रेशन कराना आसान होगा। ऐसे में सराय एक्ट में होटेलियर अभी पंजीकरण न कराएं।
अमृत विचार ने दिलाई थी भूले-बिसरे सराय एक्ट की याद
जिले में सराय एक्ट पर न होटल, गेस्ट हाउस चलाने वाले गंभीर थे और न जिम्मेदार अधिकारी। दशकों से सराय एक्ट में बिना रजिस्ट्रेशन के ही होटल चलाए जा रहे थे और लोगों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था। अमृत विचार ने यह मुद्दा उठाया तो अफसरों ने भी इसका संज्ञान लिया। सिटी मजिस्ट्रेट की ओर से बैठक बुलाकर बिना रजिस्ट्रेशन होटल न चलाने का आदेश दिया गया था। दिलचस्प यह था कि 156 साल पुराने इस कानून में आज भी एक रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
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