प्रयागराज : विवाहित महिला व उसके लिव इन पार्टनर द्वारा दाखिल सुरक्षा याचिका खारिज
अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक विवाहित महिला और उसके लिव इन पार्टनर द्वारा दाखिल सुरक्षा की मांग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि चूंकि महिला ने अपने पति को अभी तक तलाक नहीं दिया है, इसलिए उसे सुरक्षा मांगने का अधिकार नहीं है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकलपीठ ने कुमारी भारती व एक अन्य की याचिका पर पारित किया।
दरअसल महिला और उसके पार्टनर ने विपक्षी (महिला के पति) से खतरे की आशंका जताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर तर्क दिया कि वह हिंदू धर्म से संबंधित है और वयस्क हैं। वर्तमान में प्रेम और अंतरंगता के कारण लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। उन्होंने याचिका में आगे तर्क दिया कि महिला अपने पति और ससुराल वालों द्वारा निरंतर घरेलू हिंसा का शिकार हो रही थी, जिससे तंग आकर वह वर्ष 2022 में अपना वैवाहिक घर छोड़कर लिव इन पार्टनर के साथ रहने लगी।
यह जब उसके पति और परिवार वालों को पता चला तो उन्होंने दोनों को धमकाना शुरू कर दिया। अंत में याचियों ने यह स्वीकार किया कि जैसे ही महिला अपने पति से तलाक ले लेती है, वे दोनों शादी कर लेंगे। अंत में कोर्ट ने इसी कोर्ट के अन्य मामलों का हवाला देते हुए कहा कि जब तक विवाह में तलाक का आदेश पारित नहीं हो जाता, तब तक विवाह कायम रहता है। पहली शादी के अस्तित्व के दौरान कोई भी अन्य विवाह हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 17 और आईपीसी की धारा 494 के तहत अपराध माना जाएगा।
किसी अन्य धर्म में परिवर्तन के बावजूद द्विविवाह के अपराध के लिए मुकदमा चलाने के लिए कोर्ट स्वतंत्र होगा। इसके अलावा याची सुरक्षा का आदेश मांगने के अधिकारी नहीं है। इन टिप्पणियों के साथ याचिका खारिज कर दी गई।
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