प्रयागराज : ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वेक्षण के खिलाफ अंजुमन इंतजामियां ने दाखिल की याचिका

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, प्रयागराज । ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वेक्षण के लिए वाराणसी कोर्ट द्वारा 21 जुलाई को पारित आदेश को चुनौती देते हुए अंजुमन इंतजामियां मस्जिद समिति ने मंगलवार को हाईकोर्ट में अपना तर्क देते हुए कहा कि प्रस्तावित एएसआई सर्वेक्षण देश में उथल-पुथल पैदा कर सकता है। दरअसल सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा निर्देश पर समिति ने आज हाईकोर्ट का रुख किया।

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी न्यायालय के आदेश को 26 जुलाई के शाम 5 बजे तक लागू न करने का निर्देश दिया है। समिति की याचिका पर सुनवाई के लिए नियुक्त की जाने वाली पीठ के संबंध में प्रारंभिक भ्रम के बाद मुख्य न्यायाधीश ने स्वयं 4 बजे मामले की सुनवाई शुरू की। समिति ने तर्क दिया कि एक बार वैज्ञानिक सर्वेक्षण हो जाने के बाद मस्जिद परिसर को पूरी तरह नष्ट किए जाने का दावा किया गया है। इससे देश में बड़े पैमाने पर उथल-पुथल हो सकता है।

इस पर आपत्ति जताते हुए केविएटर के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने खुद शीर्ष अदालत में कहा है कि एएसआई सर्वेक्षण के दौरान कोई क्षति या विध्वंस नहीं होगा। जिला न्यायाधीश के आदेश में भी यही कहा गया है कि संरचना को कोई नुकसान पहुंचाए बिना सर्वेक्षण किया जाए। एएसआई सर्वेक्षण की आवश्यकता को उचित ठहराते हुए आगे तर्क दिया गया कि चूंकि समिति ने शीर्ष अदालत के समक्ष दावा किया था कि मस्जिद औरंगजेब द्वारा बनाई गई थी, इसलिए हिंदू महिला उपासकों ने केवल यह जानने के लिए सर्वेक्षण की इच्छा जताई कि क्या वहां वास्तव में औरंगजेब द्वारा बनाई गई मस्जिद है या एक प्राचीन हिंदू मंदिर।

संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत दाखिल याचिका की पोषणीयता पर भी सवाल उठाए गए। समिति की ओर से दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि जिला न्यायालय में हिंदू महिला उपासकों द्वारा दी गई दलीलों का कोई सबूत नहीं है, इसलिए उन्हें साक्ष्य संग्रह की आवश्यकता पड़ रही है, जो कानूनन बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। उनके आवेदन में उल्लिखित संरचनाएं कल्पना पर आधारित हैं, जिनका जमीनी हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है।

समिति का कहना है कि आलमगीरी मस्जिद/ज्ञानवापी मस्जिद वर्तमान याची/अंजुमन के अलावा किसी अन्य संस्था या व्यक्ति के कब्जे में नहीं थी। शुरुआत से ही यह मुसलमानों के कब्जे में थी।

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