24 साल पहले शहीद हुए बेटे को आज भी खाना खिलाये बिना नहीं सोती है मां, आंख नम कर देगी ये कहानी 

24 साल पहले शहीद हुए बेटे को आज भी खाना खिलाये बिना नहीं सोती है मां, आंख नम कर देगी ये कहानी 

अलीगढ़, अमृत विचार। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा.. सच है कि देश की रक्षा करते हुए जान गंवाने वाले शूरवीरों को ये देश हमेशा याद रखता है। कारगिल शहीदों को भी हर वर्ष पूरा देश नम आँखों से श्रद्धांजलि देता है। ऐसे ही एक शहीद की मां बेटे को 24 साल बाद भी जिन्दा मानती है। उसको भोग लगाए बिना ना तो वो खाना खाती है और ना ही उसके बगैर सोती है। 

ये कहानी है जिले की इगलास तहसील के गोराई इलाके के खेमकवास गाँव के शहीद प्रेमपाल सिंह की। कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लड़ते हुए इस जांबाज ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। 24 साल बाद आज भी शहीद प्रेमपाल सिंह गाँव वालों के जेहन में जिन्दा हैं। शहीद की मां वीरवती देवी आज भी बेटे के लिए दोनों वक्त का खाना बनाती हैं और उनकी तस्वीर पर भोग लगाने के बाद ही खुद खाती हैं। रात में भी बिस्तर पर बेटे की तस्वीर साथ लेकर ही सोती हैं। 

गाँव वालों के अनुसार 4 जुलाई 1999 को जवान प्रेमपाल सिंह के कारगिल युद्ध में शहीद होने की खबर मिली थी। इसके पहले उनकी शादी तय हो चुकी थी लेकिन युद्ध के चलते उसमें बदलाव किया गया था। शहादत की खबर मिलते ही पूरा गाँव रो पड़ा। अपने लाल को वीरवती देवी आज भी जिन्दा मानती हैं और रोज बेटे की तस्वीर को घंटों निहारा करती हैं। सरकार की तरफ से एक गैस एजेंसी का अलॉटमेंट किया गया है जिसे शहीद के भाई सँभालते हैं। शहीद प्रेमपाल सिंह 16 दिसम्बर 1979 को जन्मे थे। बताते हैं कि उनकी मां ने बेटे के शहीद होने के बाद कई महीनों तक कुछ भी खाना पीना छोड़ दिया था।  

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