रामनगर: हुड़किया बौल यानी हुड़के की थाप हुई धान रोपाई

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Published By Bhupesh Kanaujia
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रामनगर, अमृत विचार। सोमवार को पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत के निवास स्थान द पहाड़ी ऑर्गेनिक फॉर्म ग्राम उमेदपुर में  पर्वतीय सांस्कृतिक परंपरा के तहत हुड़किया बौल कार्यक्रम के तहत हुड़के की थाप पर पर्वतीय वाद्य यंत्रों के साथ धान की रोपाई में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर भागीदारी की। कार्यक्रम को देखने के लिए आसपास के कई किसान भी मौजूद रहे।

क्या है हुड़किया बौल

हुड़किया बौल उत्तराखंड के लोकगीतों में पारम्परिक लोक गीत रहा है। जिसे कृषि गीत या श्रम गीत भी कहा जाता हैं। इसमे लोक वाद्य यंत्र हुड़के को बजाने वाले व्यक्ति को हुड़किया कहा जाता है। और बौल या बोल का अर्थ होता है, सामूहिक रूप से किया जाने वाला कृषि कार्य।

सामूहिक रूप से किये जाने वाले कृषि कार्य के अवसर पर  इसमे खेती का काम और गीत की प्रक्रिया एक साथ चलती है जिसकारण धान की रोपाई के दौरान जो श्रम किया जाता है उसमें थकान का आभास यह लोकगीत नही होने देता। इसी लिए इस प्रक्रिया हो हुड़किया बौल कहा जाता है।

कार्यक्रम के दौरान पूर्व विधायक रणजीत रावत ने कहा कि यह हमारी पुराणिक सांस्कृतिक विधा है पहले सामूहिक खेती हुआ करती थी और खेती में काम करते समय किसानों को ज्यादा थकान ना हो तो उनके साथ एक आदमी हुड़का बजाके गाना गाता था तो उनका मनोरंजन भी होता था और काम भी जल्दी होता था।

आज ये विधा लगभग विलुप्त सी हो गई है. उन्होंने कहा कि हमारी पुरानी पीढ़ी ने हमें यह विधा सौंपी थी तो हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपनी अगली पीढ़ी को इसको सौप कर जाएं। उसी के तहत पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी हुड़किया बॉल का आयोजन किया गया है। इस दौरान मातृशक्ति, क्षेत्रीय ग्रामीण जन, युवा शक्ति सहित सैकड़ों जन मौजूद रहे।

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