लखनऊ: फाइलेरिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग चलाएगा एमडीए अभियान

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Published By Ankit Yadav
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27 जिलों में लोगों को खिलाई जाएंगी फाइलेरिया रोधी दवाइयां

अमृत विचार, लखनऊ। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत फाइलेरिया को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार 10 अगस्त से प्रदेश के फाइलेरिया से प्रभावित 27 जिलों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। जिसको लेकर राजधानी लखनऊ में मंगलवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश ने ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज और अन्य सहयोगी संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित करते हुए मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया। 

इस अवसर पर अपर निदेशक वेक्टर बोर्न डिजीज डॉ भानु प्रताप सिंह कल्याणी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश, डॉ वी पी सिंह, राज्य कार्यक्रम अधिकारी, अनुज घोष ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज समेत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश के अधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

Filaria MDA Abhiyan

कार्यशाला के दौरान अपर निदेशक वेक्टर बोर्न डिजीज डॉ भानु प्रताप सिंह कल्याणी ने कहा कि मीडिया और समुदाय की भागेदारी से प्रदेश से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है। उन्होंने कहा कि संक्रमित मच्छर के काटने से किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। जिसके कारण हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) और काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से जैसे बीमारी से लोग ग्रसित हो जाते हैं। साथ ही उनकी आजीविका और काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।

ऐसे में इस अभियान के तहत सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाईयों की निर्धारित खुराक दी जाएगी। फाइलेरिया रोधी दवाई को प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी बूथ और घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त में खिलाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि किसी भी स्थिति में दवा को किसी को दिया नहीं जायेगा। उसे स्वास्थ्यकर्मी के सामने दवा को खिलाया जायेगा और ये दवाएं खाली पेट नहीं खानी है। स्वास्थ्यकर्मी प्रदेश के 17 जिलों में दो दवा डीईसी और एल्बेन्डाजोल खिलाएंगे और बाकी के 10 जिलों में तीन दवाएं डीईसी, एल्बेन्डाजोल और आईवरमेक्टिन खिलाई जायेंगी।

रैपिड रेस्पोंस टीम रहेगी तैनात

राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ वी पी सिंह ने बताया कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। इसके अलावा रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलने जैसा महसूस होता है तो जैसे लक्षण होते हैं तो उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। किसी लाभार्थी को दवा सेवन के बाद किसी प्रकार की कोई कठिनाई महसूस होती है तो उससे निपटने के लिए हर ब्लॉक में रैपिड रेस्पोंस टीम तैनात रहेगी। उन्होंने आगे कहा कि सभी लोगों को 5 साल तक लगातार साल में केवल 1 बार फाइलेरिया रोधी दवाओ का सेवन करना चाहिए। इससे उत्तर प्रदेश से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है।

फाइलेरिया से प्रभावित 27 जिलें

औरैया, बहराइच , बलरामपुर, बस्ती, देवरिया, इटावा, फरुखाबाद, गाजीपुर,, गोंडा, गोरखपुर, कन्नौज, कुशीनगर, महाराजगंज, रायबरेली, संतकबीर नगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और सुल्तानपुर (डीईसी और एल्बेन्डाजोल)

चंदौली,  फतेहपुर, , हरदोई,  कानपुर देहात, कानपुर नगर,  कौशाम्बी, खीरी, मिर्जापुर, सीतापुर, हरदोई (डीईसी, एल्बेन्डाजोल और आईवरमेक्टिन)

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