मिर्जापुर की गायन शैली कजरी के संरक्षण को प्रशासन ने शुरू की कवायद 

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Published By Jagat Mishra
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मिर्जापुर, अमृत विचार। जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक, लोकमहत्व के सांस्कृतिक धरोहरों एवं स्थानीय विधाओं को संरक्षित करने की पहल शुरू की है। लोक संगीत के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध कजरी को ऐतिहासिक महत्व देने के लिए 'कजरी स्मारक' बनाया जा रहा है। अर्द्धशास्त्रीय गायन विधा के रूप में विकसित हुई कजरी आज अपना कंठ खो रही है। इसी कारण से पुराने अंदाज में लौटाने का प्रयास किया जा रहा है। वर्षा ऋतु में अपने नैसर्गिक गीत के रूप में जन जन कंठहार बन जाती है हालांकि सांस्कृतिक क्षरण के इस काल में कजरी अछूती नहीं रही है। 

प्रदेश सरकार के स्थानीय संस्कृति को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों से मिर्जापुरी कजरी को भी जीवन दान मिला है। सरकार ने पहली बार कजरी की महत्ता को देखते हुए गायिका अजीता श्रीवास्तव को पद्मश्री सम्मान देकर संदेश भी दे दी है। जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने बताया कि नगर के पं रामचंद्र शुक्ल पार्क को कजरी स्मारक के रूप में चुना गया है। उन्होंने बताया कि यहां कजरी की जीवन्तता के लिए सभी वाद्य यंत्रों एवं झूला पहाड़ एवं गांव का लुक दिया जा रहा है। 

जिलाधिकारी ने स्वीकार किया कि तेजी से प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विरासतों का क्षरण हो रहा है।लोक संस्कृति के प्रति विमुखता आम जन में देखा जा रहा है। लोक संस्कृति को बचाने की दृष्टि से शासन स्तर पर क‌ई प्रयास किए जा रहे हैं। कजरी को प्रोत्साहित करने के लिए जहां महोत्सव का आयोजन किया गया वही कजरी स्मारक के साथ आदिवासी संस्कृति के लिए एक शोध संस्थान एवं संग्रहालय बनाने की भी योजना है। स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के प्रयास से केन्द्रीय सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया है। 

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