बरेली: यूरिया, कीटनाशक जमीन को बना सकते हैं बंजर

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बरेली, अमृत विचार। रासायनिक खाद, कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल जमीन को बंजरता की ओर ले जा सकता है। किसान कई बार कम लागत वाली यूरिया, डीएपी आदि खेतों में ज्यादा मात्रा में डाल देते हैं। इसको लेकर कृषि विभाग ने जैविक खेती पर जोर दिया है। इसके अलावा फसलों में यूरिया डालने के मानक तय …

बरेली, अमृत विचार। रासायनिक खाद, कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल जमीन को बंजरता की ओर ले जा सकता है। किसान कई बार कम लागत वाली यूरिया, डीएपी आदि खेतों में ज्यादा मात्रा में डाल देते हैं। इसको लेकर कृषि विभाग ने जैविक खेती पर जोर दिया है। इसके अलावा फसलों में यूरिया डालने के मानक तय किए हैं।

कृषि विशेषज्ञ कुलदीप विश्नोई बताते हैं जनपद में कभी यूरिया के बिना बड़े पैमाने पर जैविक खेती होती, अब किसान खेतों में इतना यूरिया डाल रहे हैं कि प्रदेश भर में इसकी किल्लत बनी है। खेतों में यूरिया का अंधाधुंध इस्तेमाल होने पर सरकार किसानों को फिर से जैविक खेती की ओर मोड़ना चाहती है।

जैविक खेती में किसान बिना यूरिया, डीएपी, एमओपी, पेस्टीसाइड व अन्य रसायनों के खेती कर कम लागत में मोटा मुनाफा कमाते हैं। इससे फसल एकदम शुद्ध एवं प्राकृतिक तो होती ही है इसके खाने से कोई नुकसान शरीर को नहीं होता है।

कृषि विभाग ने हाफिजगंज, नवाबगंज समेत कई गांवों में जैविक खेती शुरू करा दी है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है सभी किसानों को एकदम से यूरिया का इस्तेमाल खत्म करने के लिए तो तैयार नहीं किया जा सकता है, लेकिन किसान को एक निश्चित सीमा तक ही यूरिया के इस्तेमाल को प्रेरित किया जा सकता है।

हर फसल में यूरिया की खपत अलग-अलग होती है। इधर, ग्रेम गांव में जैविक खेती करने वाले किसान सर्वेश बताते हैं कि जैविक खेती का मतलब ही कम लागत में किसानों की आय दोगुना होना है। लेकिन इसमें किसानों को खेत की चौबीस घंटे निगारनी करनी होगी।

“हर चीज की समय सीमा निर्धारित होती है। किसान खेत में ज्यादा यूरिया डालकर अपनी खेती बढ़ाने में लगे हैं, लेकिन उनको यह नहीं पता जमीन को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसान कृषि विभाग की सूची के अनुसार ही यूरिया का प्रयोग फसलों में करें।”– धीरेंद्र कुमार, जिला कृषि अधिकारी

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