मजिस्ट्रेट को सरयू एक्सप्रेस में घायल अवस्था में मिली महिला पुलिस कांस्टेबल का बयान दर्ज करने का निर्देश

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संबंधित मजिस्ट्रेट को सरयू एक्सप्रेस में घायल अवस्था में मिली महिला पुलिस कांस्टेबल का बयान दर्ज करने और सुनवाई की अगली तिथि 13 सितंबर तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। सरयू एक्सप्रेस में 29-30 अगस्त की रात खून से लथपथ स्थिति में पाई गई यह महिला कांस्टेबल चलने फिरने में असमर्थ थी और उसके चेहरे पर चोट का घाव था। 

वर्तमान में वह लखनऊ के केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में भर्ती है। अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि पीड़िता की पांच चिकित्सकों की टीम द्वारा जांच की जाए। इस टीम में तीन वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ, एक सर्जन और एक मेडिसिन के डाक्टर होंगे। यह टीम इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख पर रिपोर्ट सौंपेगी। इस टीम का गठन केजीएमयू के डीन द्वारा किया जाएगा। 

सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘पुलिस अधीक्षक, जीआरपी से अभी तक की जांच की प्रगति के बारे में सुनकर हमें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि जांच सही दिशा में चल रही है और इससे परिणाम तेजी से आएगा।’’ 

अदालत ने कहा, ‘‘हालांकि, हम पाते हैं कि सीआरपीसी की धारा 161 या 164 के तहत पीड़िता का बयान अभी तक दर्ज नहीं किया गया है। हमारे विचार से, यह महत्वपूर्ण साक्ष्य है जिससे जांच तेजी से आगे बढ़ सकती है। हमें लगता है कि बयान इसलिए दर्ज नहीं किया गया है क्योंकि पीड़िता स्वयं को मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करने की स्थिति में नहीं है।’’ 

अदालत ने रेलवे अधिकारियों को जांच टीम को मोटर चालित ट्राली समेत सभी आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया जिससे जांच टीम हथियार और अन्य साक्ष्य का पता लगाने के लिए रेलवे ट्रैक पर ‘कांबिंग ऑपरेशन’ चला सके। इससे पूर्व, रविवार (तीन सितंबर) को रात में इस अदालत ने महिला पुलिस कांस्टेबल पर हमले की घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को अगले दिन पेश होने का निर्देश दिया था। 

अदालत ने इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार किया। बाद में, अदालत के निर्देश के मुताबिक, जीआरपी की पुलिस अधीक्षक पूजा यादव और उपाधीक्षक ने अदालत को बताया था कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पीड़िता का बयान दर्ज नहीं किया जा सका क्योंकि वह बयान देने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने यह भी बताया था कि आरोपियों की संलिप्तता दर्शाने वाला कोई साक्ष्य अभी तक सामने नहीं आया है। इसके अलावा, दुष्कर्म के कोई संकेत अभी तक नहीं पाए गए हैं। महिला कांस्टेबल के सिर और चेहरे पर चोट लगी है।  

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