मुरादाबाद: रामगंगा नदी का जलस्तर कम हुआ, दुश्वारियां बरकरार... किसान बोले- धान और सब्जी की फसलें हो गईं बाढ़ से बर्बाद

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Published By Priya
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मुरादाबाद, अमृत विचार।  रामगंगा नदी का जलस्तर तो कम हो गया, लेकिन तटवर्ती इलाकों के लोगों की दुश्वारियां बरकरार हैं। किसानों को फसलों के नुकसान का दर्द है। साल भर की मेहनत एक झटके में यूं ही बाढ़ के पानी के साथ बह गई। किसी का धान खराब हुआ तो किसी किसान की सब्जी की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई। गन्ने की फसल को भी बहुत नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि वह खून पसीना बहाकर फसलों को तैयार करते हैं, लेकिन रामगंगा में आने वाली बाढ़ सब तबाह कर ले जाती है। महानगर में भी नदी किनारे के मोहल्लों के लोगों को पानी कम होने से राहत मिली है।

पिछले तीन दिन से रामगंगा नदी लाल निशान से ऊपर चली गई थी। इससे नदी के तटवर्ती इलाकों में नदी का पानी पहुंच गया था। आधा दर्जन से ज्यादा गांवों में घराें के बाहर तक पानी पहुंच गया। मुरादाबाद-काशीपुर मार्ग तक नदी का पानी पहुंचने से वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। गुरुवार से रामगंगा नदी का जलस्तर कम जरूर हो रहा है, लेकिन बाढ़ का पानी बर्बादी के निशान छोड़ गया है।

बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है। किसानों का कहना है कि कितनी मेहनत के साथ धान और सब्जी की फसल को तैयार किया गया। इससे ही परिवार का पालन पोषण होता है। लेकिन, इस बाढ़ ने सब चौपट कर दिया। खेतों में पानी भरा होने की वजह से फसलें पूरी तरह से खराब हो गईं। बंगला गांव, चक्कर की मिलक, नवाबपुरा, सूरजनगर, ताजपुर, रसूलपुर नगला के किसानों का दर्द साफ दिख रहा है।

नदी किनारे खड़ी गन्ने की फसल का भी नदी की तेज धारा ने कटान कर दिया। इन गांवों के जंगलों में भी घुटनों-घुटनों बाढ़ का पानी भर गया। किसानों को पशुओं के लिए चारा लाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हरे चारे की फसल भी काफी खराब हो गई। घरों के आगे भी पानी कम हुआ है, लेकिन कच्चे रास्तों पर कीचड़ पसर गई। इससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है।

नदी पार करीब 9 बीघा जमीन है। जिसमें इस बार मूली, पालक और मेथी बो रखी थी, लेकिन बाढ़ के पानी ने सब बर्बाद कर दिया। इससे करीब 40,000 रुपये का नुकसान हुआ है। इसके सहारे ही परिवार की गुजर बसर होती है। अगस्त में भी बाढ़ की परेशानियों को झेला। कुंवरसैन, बंगला गांव

बाढ़ की वजह से सबसे बड़ी समस्या पशुओं के लिए चारे की आ रही है। अधिक दिनों तक फसल में पानी भरा रहने से चारा गलने लगता है। प्रशासन को बाढ़ से बचाव के लिए कोई स्थायी प्रबंध करना चाहिए। धान की फसल को भी नुकसान हुआ है। बाबू सिंह, चक्कर की मिलक

15 बीघा जमीन है, जिसमें से 11 बीघा में धान की फसल रौंपी थी। लेकिन, अब बाढ़ ने सबकुछ बर्बाद कर दिया। बाढ़ से करीब 70-80000 रुपये का नुकसान है। सरकार को प्रभावित किसानों को बाढ़ के पानी से बर्बाद फसल का मुआवजा देना चाहिए। -- पन्नालाल, नवाबपुरा

महानगर के लोगों को सता रहा संक्रामक रोगों का डर

मुरादाबाद। रामगंगा नदी का जलस्तर गुरुवार को घटकर 190.28 मीटर रह गया, जबकि बुधवार को नदी ने खतरे का निशान पार कर दिया। मूंढापांडे में बाढ़ खंड के अधिकारी हरपाल नगर में कोसी के कटान को रोकने में लगे है। कालोनियों में भी पानी कम हुआ है, लेकिन गंदगी पसरी रहने से संक्रामक बीमारियों का डर सताने लगा है।

पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश की वजह से रामगंगा, गागन और कोसी नदी का जलस्तर बढ़ गया। इससे तटवर्ती इलाकों में बाढ़ आ गई। जिससे लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। अब पानी कम होने से नदी किनारे वाले मोहल्ले के लोगों को भी राहत मिली है। जिगर कालोनी, बंगला गांव, नवाबपुरा, लाल मस्जिद, लालबाग, सूरजनगर के लोगों को पानी कम होने से सुकून मिला है, लेकिन नुकसान भी काफी हुआ है। सबसे बड़ी समस्या संक्रामक बीमारियों की है। बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता सुभाषचंद ने बताया कि रामगंगा नदी का जलस्तर कम हो गया है। मूंढापांडे में हरपाल नगर में कोसी नदी कटान कर रही है। उसकी रोकथाम के इंतजाम किए जा रहे हैं।

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