Kanpur News: अडानी के चार करोड़ के नुकसान की वजह बताई, एचबीटीयू के विशेषज्ञों ने किया आकलन, एडवाइजरी भी की जारी

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में एचबीटीयू के विशेषज्ञों ने अडानी के चार करोड़ के नुकसान की वजह बताई।

कानपुर में एचबीटीयू के विशेषज्ञों ने अडानी के चार करोड़ के नुकसान की वजह बताई। इसके साथ ही एडवाइजरी भी जारी की है।

कानपुर, अमृत विचार। हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) के विशेषज्ञों ने देश की नामी खाद्य तेल कंपनी अडानी विल्मर को करीब चार करोड़ रुपये का नुकसान होने की रिपोर्ट बनाई है। मामला पिछले दिनों रिफाइंड ऑयल टैंक में सोयाबीन के बीज जलने की घटना से जुड़ा है। विशेषज्ञों ने मौके की जांच कर न सिर्फ वजह तलाशी, बल्कि भविष्य में इस तरह की कोई घटना न हो सके उसके लिए एडवाइजरी भीदी है। बीज जलने के पीछे वजह टैंक में नमी का होना सामने आया। 

एचबीटीयू की के कई विभागों की फैकल्टी अकादमिक, शोध कार्यों के साथ ही परामर्श देने का कार्य करती है। इससे विश्वविद्यालय के राजस्व में फायदा होता है, जबकि कंपनी की ओर से छात्रों के विकास के लिए कई तरह के कार्य में सहयोग किया जाता है। कुछ दिन पहले अडानी विल्मर कंपनी के मध्य प्रदेश स्थित विदिशा के सोयाबीन ऑयल प्लांट में बीजों के जलने की घटना सामने आई, जिस पर कंपनी के अधिकारियों ने एचबीटीयू के ऑयल टेक्नोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण सिंह यादव से संपर्क किया। प्रो. यादव और उनकी टीम ने प्लांट का निरीक्षण किया,जिस पर उन्हें खामी का पता लगा।

विभागाध्यक्ष के मुताबिक सीड प्लांट पूरी तरह से एयरटाइट होता है, जिसमें नमी बिल्कुल नहीं जानी चाहिए। आंधी और तूफान की वजह से टैंक के ऊपर का हिस्सा कुछ टूट गया। अंदर करीब चार करोड़ रुपये के सोयाबीन के बीज रखे हुए थे।

नमी की वजह से बीजों के अंदर के माइक्रोऑगेनिज्म पैदा हो गए। उनकी संख्या लगातार बढ़ती गई। उन्होंने अपने को बढ़ाने की प्रक्रिया तेज की, जिससे बीजों के तापमान में इजाफा हो गया। माइक्रोऑगेनिज्म ने अंदर ही अंदर हॉट स्पॉट तैयार कर दिया, जिससे बीज जल गए। टैंक के अंदर का तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होना चाहिए।  

कंपनी को काफी नुकसान हुआ 

प्रो. प्रणीव सिंह यादव ने बताया कि टैंक के अंदर रखे सोयाबीन बीज की अनुमानित कीमत करीब चार करोड़ रुपये थी, जबकि कंपनी की ओर से उनका वैल्यूएडिशन कर कई और सह उत्पाद बनाए जाते हैं। इसमें सोयाबीन की बड़ियां, चूरा आदि शामिल है। कंपनी के अधिकारियों को इस तरह की घटना दोबारा न हो, उसके लिए अलार्म सिस्टम लगाने की सलाह दी गई है। टैंक में अगर कहीं से नमी आती है या फिर तापमान बढ़ता है तो तुरंत उसको देर करने के प्रयास किए जा सकेंगे।

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