पीलीभीत: मंत्रीजी ने की दो बार कॉल फिर भी नहीं आए डॉक्टर, मरीज हो रहे परेशान, यह है मेडिकल कालेज का हालात
पीलीभीत, अमृत विचार : संयुक्त जिला चिकित्सालय को मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिलने के बाद भी वह बदहाली के आंसू बहा रहा है। मेडिकल कॉलेज में मरीजों को इलाज मिलना तो दूर डॉक्टरों का परामर्श तक नहीं मिल रहा है। जबकि अफसर से लेकर राज्यमंत्री सभी निरीक्षण कर डॉक्टरों की कमी को दूर करने का आश्वासन दिया था।
लेकिन अफसोस उनका आश्वासन भी हवा हवाई साबित हो रहा है। पहले भी मरीज इलाज के लिए भटक रहे थे और आज भी मरीज को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। इतने बढ़े मेडिकल कॉलेज में मात्र 15 डॉक्टर ही तैनात है। जो यहां मोर्चा संभाले रहे हैं। ऐसे में मरीजों को इलाज करना किसी चुनौती से कम साबित नहीं हो रहा है।
जिले में संचालित हो रहे सरकारी अस्पताल को मेडिकल कॉलेज का दर्जा दिलाकर यहां के जनप्रतिनिधियों ने खूब वाहवाही लूटी थी। उन्होंने दावा किया था कि अब तराई वासियों को इलाज कराने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। लेकिन जनप्रतिनिधियों की ओर से किए गए दावे वर्तमान में हवा हवाई साबित हो रहे हैं। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज की ओपीडी प्रतिदिन एक हजार के पार पहुंच रही है।
लेकिन डॉक्टर और संसाधन के अभाव में इलाज नहीं मिल पा रहा है। बुधवार को भी मेडिकल कॉलेज की ओपीडी करीब 1358 के आसपास रही। जिसमें सर्दी, जुकाम,बुखार, निमोनिया जैसी बीमारियों के मरीजों की संख्या अधिक थी। जिन्हें फिजीशियन को दिखाना था। मगर मेडिकल कॉलेज में सिर्फ एक ही फिजीशियन होने के कारण उनके चेंबर के बाहर भीड़ उमड़ी रही।
परामर्श और दिखाने के लिए मरीजों को एक से दो घंटे इंतजार करना पड़ा। कई अन्य डॉक्टरों के चैंबर खाली पड़े मिले, जो ओपीडी में नहीं पहुंचे थे। ऐसे में मरीजों को निराशा के साथ वापस लौटना पड़ा था। यह हाल यहां एक दिन का नहीं रोजाना है। क्योंकि मेडिकल कॉलेज में कुल 15 डॉक्टर तैनात हैं। जिनमें सात स्थायी है। सात जूनियर रेजिडेंट और एक सीनियर रेजीडेंट हैं।
इनमें भी कोई चैंबर से गायब रहता है तो कोई वीआईपी ड्यूटी या अवकाश पर। इतने बड़े मेडिकल कॉलेज में सिर्फ सात विशेषज्ञों के सहारे इलाज पर्याप्त नहीं हो पा रहा है। जबकि 14 विशेषज्ञों की कमी बनी हुई है। जिनके बिना मेडिकल कॉलेज की सुविधाएं अधूरी हैं। 24 अक्टूबर को राज्यमंत्री संजय सिंह गंगवार ने मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान डॉक्टरों की कमी बात सामने आई थी।
उन्होंने शासन स्तर पर दूरभाष से वार्ता करते हुए डॉक्टरों की कमी को दूर करने का भरोसा दिलाया था। इससे पूर्व में भी एक बार निरीक्षण कर वार्ता की गई थी। मगर अभी भी समस्या जस की तस बनी हुई है। हड्डी रोग विशेषज्ञ पर प्राचार्य की जिम्मेदारी आ गई तो वह ओपीडी नहीं कर पा रहे। सर्जन और एक्स रे टेक्नीशियन भी सीएमओ के अधीन हैं। पैथोलॉजी लैब वर्षो से खाली है। जिस वजह से सैंपल बरेली भेजे जा रहे हैं।
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