UP: जवानों को ठंड से बचाएंगे सीएलआरआई के दस्ताने… माइनस 50 डिग्री सेल्सियस में भी होंगे कारगर, सेना को टेस्टिंग के लिए भेजा

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में जवानों को ठंड से बचाएंगे सीएलआरआई के दस्ताने।

कानपुर में जवानों को ठंड से सीएलआरआई के दस्ताने बचाएंगे। चमड़े के बने दस्ताने माइनस 50 डिग्री सेल्सियस में भी कारगर होंगे। सेना को टेस्टिंग के लिए भेजा गया। बस अब आधिकारिक सहमति आना बाकी।

कानपुर, [राजीव त्रिवेदी]। सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में ठंड से बचाव के लिए सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट, कानपुर (सीएलआरआई) ने चमड़े के विशेष दस्ताने तैयार किए हैं। ये दस्ताने माइनस 50 डिग्री सेल्सियस में भी कारगर साबित होंगे। सीएलआरआई ने दो साल के शोध के बाद दस्ताने तैयार करके टेस्टिंग के लिए सेना को भेजा है।आधिकारिक सहमति आना बाकी है। सीएलआरआई के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि दस्तानों को बनाने में पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल हुआ है।

सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने विशेष तरह के दस्तानों को बनाने के लिए चमड़े के साथ रसायनों का भी प्रयोग किया है। चमड़े की चार लेयर दस्तानों में लगाई गई है। उत्पाद में इस्तेमाल किए गए रसायन उंगलियों को गर्म रखने का काम करते हैं। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चमड़े के होने के बावजूद इन दस्तानों को इस्तेमाल करना आसान है क्योंकि चमड़े को शोध के बाद लचीला बनाया गया है।

पूर्व में इसकी टेस्टिंग बर्फीले इलाकों में हो चुकी है। सीएलआरआई के वैज्ञानिकों ने बताया कि टेस्टिंग के लिए 60 दस्तानों को सेना को भेजा गया है। इन दस्तानों पर सियाचिन में टेस्ट होंगे। कई चरणों में जांच के दौरान उत्पाद को विषम से विषम परिस्थितियों से गुजारा जाएगा। इसके अलावा जवान रोजमर्रा के कार्यों में भी इन दस्तानों को पहनकर उसका उपयोग परखेंगे।  

विदेश पर निर्भरता खत्म होगी

सीएलआरआई से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के दस्ताने फिलहाल यूरोपीय देशों से आयात किए जाते रहे हैं। ऐसे दस्तानों को खासतौर पर अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी से मंगाया जाता था। सीएलआरआई के दस्ताने सेना के साथ ही पर्वतारोही टीम के सदस्य भी इस्तेमाल कर सकेंगे। अधिकारियों ने बताया कि स्वदेशी दस्तानों के बन जाने से आयात को काफी हद तक कम किया जा सकता है। सेना के साथ ही बर्फीले इलाकों में एडवेंचर गेम के शौकीनों के लिए भी स्वदेसी दस्ताने उपयोगी साबित होंगे।

इन दस्तानों में चमड़े के साथ ही नॉन लेदर फैब्रिक का भी इस्तेमाल किया गया है। दस्तानों में चार अलग-अलग तरह की लेयर लगाई गई हैं। इन दस्तानों में गर्माहट के लिए किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का इस्तेमाल नहीं किया गया है।- अभिनंदन कुमार, प्रभारी वैज्ञानिक, सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट, कानपुर

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