SGPGI में टॉप करने वाले डॉक्टर बोले, गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट में रहकर करेंगे मरीजों की सेवा

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Published By Jagat Mishra
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वीरेंद्र पांडेय / लखनऊ, अमृत विचार। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में बेस्ट स्टूडेंट (MCH) डॉ सारा इदरीस को चुना गया है। वही बेस्ट स्टूडेंट (DM) डॉक्टर दर्पण राधेश्याम ठाकरे रहे हैं। शनिवार को हुए दीक्षांत समारोह में एसजीपीजीआई में टॉप करने वाले दोनों ही डॉक्टरों को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया है।

अमृत विचार संवाददाता के साथ हुई बातचीत में बेस्ट स्टूडेंट (MCH) डॉक्टर सारा इदरीश और डॉक्टर दर्पण राधेश्याम ठाकरे ने भविष्य की योजनाओं पर बात की है।

डॉक्टर सारा इदरीश ने एंडोक्राइन एंड ब्रेस्ट सर्जरी में MCH टॉप किया है। डॉक्टर सारा इदरीश ने बताया है कि अभी दो साल वह उत्तर प्रदेश सरकार के साथ हुए बांड पर काम करेंगी। इसके बाद गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट में ही बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर काम करने की इच्छा जताई है।

डॉक्टर सारा इदरीश ने पढ़ाने और मरीज के इलाज दोनों की इच्छा जताई है और यह काम किसी चिकित्सा संस्थान में ही किया जा सकता है। यही वजह है कि वह चिकित्सा संस्थान में रहकर काम करना चाहती हैं,लेकिन खास बात यह है कि वह चिकित्सा संस्थान गवर्नमेंट का होना चाहिए। जिससे वह गरीब मरीजों की भी सेवा कर सके।

गठिया बीमारी को लेकर जागरूकता का करेंगे काम
एसजीपीजीआई में बेस्ट स्टूडेंट डीएम का गोल्ड मेडल अपने नाम करने वाले डॉक्टर दर्पण राधेश्याम ठाकरे ने क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी एंड रिमेटोलॉजी में डीएम किया है। 

डॉक्टर दर्पण राधेश्याम ठाकरे ने बताया कि वह अभी दो साल तक यूपी सरकार के साथ हुए बांड के तहत काम करेंगे। उसके बाद वह महाराष्ट्र जाकर एकेडमिक इंस्टीट्यूट ज्वाइन करना चाहते हैं और गठिया की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए काम करना चाहते हैं।

डॉक्टर दर्पण राधेश्याम ठाकरे की माने तो गठिया बीमारी को लेकर अभी भी डॉक्टर और आम जनता दोनों में जागरूकता की कमी है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज इलाज के लिए तब पहुंचता है। जब बीमारी गंभीर स्थिति में पहुंच जाती। इसका कारण है कि गठिया बीमारी की जानकारी सामान्य डॉक्टरों को भी नहीं है। उसके लक्षणों को डॉक्टर पहचान नहीं पाते हैं।जिसकी वजह से बीमारी के इलाज में देर होती है।

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