पीलीभीत: जंगल के बाहर खेतों में घूम रहे बाघ, पकड़ने की अनुमति मिलने के बाद भी सिस्टम लाचार
पीलीभीत, अमृत विचार। पीलीभीत जिले की कलीनगर तहसील में इन दिनों तीन से अधिक बाघ रिहायशी इलाकों में घूम रहे हैं। अगर छह महीनों की बात करें तो बाघ हमले में चार इंसानों की मौत हो चुकी है, जबकि एक बाघ को रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा गया है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व की कई जगह पर जंगल सीमा खुली होने के कारण बाघ आसानी से बाहर निकल रहे हैं। जो आबादी क्षेत्रों में आंतक मचाए हुए हैं। बीते दो माह से कलीनगर के गांव पिपरिया संतोष में बाघ अपना डेरा जमाए हुआ है। जो ग्रामीणों के लिए मुसीबत बने है। इस कारण किसान अपनी खेतीबाड़ी भी नहीं कर पा रहे हैं। बाघ का आबादी में घूमते हुए कई वीडियो वायरल भी हो चुके हैं।
ग्रामीणों की मांग पर शासन ने बाघ को पकड़ने की अनुमति दे दी है, लेकिन इसके बाद भी बाघ को रेस्क्यू करना तो दूर वन विभाग की ओर से कोई ठोस रणनीति तक नहीं बनाई गई है। हालांकि इस बाघ को रेस्क्यू करने की जिम्मेदारी सामाजिक वानिकी प्रभाग को मिली है। कई दिनों से महज वनकर्मियों द्वारा निगरानी कर खानापूरी कराई जा रही है।
इस मामले में वन अफसरों का कहना है कि सटीक पहचान न होने के कारण बाघ को रेस्क्यू करने में समय लग रहा है। वन विभाग की इस लापरवाही से ग्रामीणों में खासे आक्रोशित है। ग्रामीणों के आक्रोश का अदांजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि कुछ दिन पहले गांव सपहा में बाघ के बारे में जानकारी लेने पहुंचे सामाजिक वानिकी प्रभाग के डीएफओ आरके सिंह का ग्रामीणों ने घेराव कर जमकर खरीखोटी सुनाई और बाघ को जल्द पकड़ने की मांग की। इधर, बाघ की लोकेशन कलीनगर तहसील के गांव पिपरिया संतोष, जमुनिया, सपहा, भैरोकला, मथना में देखने को मिल रही है।
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