पीलीभीत: जिस गन्ना प्रजाति से हुए मालामाल, अब उसी से तौबा कर रहे तराई के किसान..जानिए पूरा मामला

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Published By Moazzam Beg
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पीलीभीत, अमृत विचार। किसानों की जेबें भर देने वाली गन्ने की प्रजाति रेड रॉट बीमारी की चपेट में आ गई है। यह गन्ने की प्रजाति जिले में कुल रकबे में से 80 फीसदी रकबे में पैदा की जा रही थी। रेड रॉस्ट लाइलाज होने के कारण गन्ना विभाग के अधिकारी किसानों को अब इस प्रजाति की जगह अन्य प्रजातियां लगाने की अपील कर रहे हैं।

गन्ना उत्पादन में अग्रणी माने जाने वाले जिले में हर साल करीब एक लाख हेक्टेयर में गन्ने की पैदावार की जाती है। इसके बावजूद गन्ना किसान मुसीबत से घिरे रहते है। कभी मौसम की मार तो कभी भुगतान की संमस्या होने के बाद भी किसानों का गन्ने से मोहभंग नही हो रहा है। इधर अब गन्ना किसानों को एक नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को सर्वाधिक फायदा पहुचाने वाली गन्ने की 0238 प्रजाति लाइलाज रेड रॉस्ट (लाल सड़न) रोग से ग्रस्त हो चुकी है। इस बीमारी को गन्ने का कैंसर भी कहा जाता है। 

खास बात यह है कि यह बीमारी गन्ने की उस प्रजाति पर धावा बोल रही है,  जिसका किसान सर्वाधिक उत्पादन करते हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक गन्ने की 0238 प्रजाति कुल रकबे की 80 फीसदी रकबे में पैदावार की जाती है। इधर अब गन्ना विभाग भी इस प्रजाति को नई प्रजातियों से रिप्लेस करने में जुट गया है। गन्ना अधिकारी किसानों को इस प्रजाति के स्थान पर अन्य उन्नतशील प्रजातियों की बुवाई कराने को जागरूक कर रहे हैं।

पूर्व में भी बेहतर उत्पादन देने वाली प्रजातियां हो चुकी है रिजेक्ट
70 के दशक में सामान्य प्रजाति 1148 से बंपर पैदावार हुई थी। करीब पांच साल बाद यह प्रजाति रोगग्रस्त होने के कारण रिजेक्ट हो गई। वर्ष 1977 में किसानों को  सीओजे  64 और कोसा 767 प्रजाति से बेहतर उत्पादन मिला। कुछ समय तक अच्छी पैदावार होने के बाद यह प्रजाति भी रोग ग्रस्त होने का हवाला देकर रिजेक्ट कर दी गई। इसके बाद 034 और 768 प्रजाति ने अच्छी पैदावार दी।  दो सत्र बाद ही इसे भी अस्वीकृत घोषित कर दिया गया था।

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