अन्य प्रदेशों की तरह बहराइच को भी मिले रेल योजना का लाभ, संरक्षित वनक्षेत्र के नाम पर बंद हो गईं कई ट्रेनें

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Published By Jagat Mishra
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तराई के लाइफ लाइन पर लखीमपुर और बहराइच के जन प्रतिनिधियों की उदासीनता 

राजू जायसवाल / बहराइच, अमृत विचार। बहराइच मैलानी रेल प्रखंड तराई के जनपदों के लिए लाइफ लाइन मानी जाती है। लेकिन संरक्षित वन क्षेत्र से गुजरी रेल लाइन पर अब सिर्फ दो अप और दो ट्रेनों का ही संचालन हो रहा है। जबकि वर्ष 2019 में इसी रेल प्रखंड पर गोकुल एक्सप्रेस समेत नौ ट्रेनों का संचालन होता था। ऐसे में जिले के लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अन्य प्रदेशों की तरह जिले में भी रेल लाइन को जंगल के बीच से ब्राड गेज में परिवर्तित करने की मांग उठी है।

बहराइच मैलानी रेल प्रखंड 1898 में बनकर तैयार हुआ था। यह रेल लाइन पहले नार्दन बंगाल रेलवे के अधीन था। इस रेल लाइन पर गोंडा जंक्शन से मैलानी तक आठ अप और डाउन ट्रेनों का संचालन होता था। इतना ही नहीं एक एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन कासगंज तक किया जाता था। जिससे तराई के जनपद के लोग आसानी से बरेली, दिल्ली की यात्रा कम खर्चे में करते थे। लेकिन वन विभाग की रिट पर बहराइच से मैलानी जाने वाली सभी ट्रेनों का संचालन वर्ष 2019 में बंद कर दिया गया। इसी बीच क्षेत्र के लोगों ने कोर्ट में याचिका दायर कर वन विभाग पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाते हुए वाद दायर किया। सुनवाई के बाद लखनऊ हाई कोर्ट ने वर्ष 2019 में ही ट्रेन के संचालन का आदेश देखे था। लेकिन ट्रेन बंद होने के कुछ सप्ताह बाद ही कोरोना लॉक डाउन भी लग गया। जिसके चलते ट्रेन पूरी तरह से पांच माह बंद हो गई। लॉक डाउन के बाद ट्रेन का संचालन शुरू हुआ तो नौ ट्रेनों के स्थान पर महज दो अप और दो डाउन ट्रेन ही संचालित हो सकी हैं। इसके चलते बहराइच, लखीमपुर, पीलीभीत, बरेली, गोंडा, श्रावस्ती और बरेली जनपद से आवागमन करने वाले लोगों की लाइफ लाइन ही बंद हो गई। 

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क्षेत्र के लोगों ने पहले की तरह ट्रेन संचालन कराए जाने के लिए बहराइच सांसद अक्षयवर लाल गोंड और लखीमपुर के सांसद से संपर्क किया, लेकिन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता रेल यात्रियों पर भारी पड़ गई। रेल यात्रियों का कहना है कि बेहतर पैरवी न होने के चलते पहले चल रही ट्रेनों में दो तिहाई कमी कर दी गई है। यह तराई के जनपद के लोगों के लिए काफी नुकसानदायक है। इससे व्यापार और अन्य चीजें प्रभावित हुई है। इस पर जनप्रतिनिधियों के साथ प्रधानमंत्री और रेल मंत्री को ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि बहराइच से लखीमपुर जाने के लिए सड़क मार्ग ही एक रास्ता है।

मंडल के जनपद से लखमीपुर के लिए है एकमात्र रेल लाइन
देवीपाटन मंडल के जनपद के गोंडा, बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती से लखमीपुर जाने के लिए छोटी रेल लाइन ही एकमात्र सहारा है। लखमीपुर के मैलानी तक रेल सेवा लोगों को मिलती है। लेकिन अब सुबह के बाद से पूरे दिन कोई ट्रेन ही नहीं है। जिसके चलते मंडल के सभी जनपद के लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सभी का कहना है कि बहराइच मैलानी रेल प्रखंड को ब्राड गेज में परिवर्तित कर पूर्व की भांति ट्रेनों का संचालन करना चाहिए। 

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संरक्षित वन क्षेत्र से गुजरी है ब्राड गेज रेल लाइन
देश के पंजाब और हरियाणा राज्य को छोड़ दीजिए तो वहां जंगल न होने के चलते जंगल के बीच से रेल लाइन नहीं है। जबकि देश के अन्य सभी राज्यों में संरक्षित वन क्षेत्र के बीच से बड़ी रेल लाइन और एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन होता है इसी तरह बहराइच मैलानी रेल प्रखंड को भी ब्रॉड गेज में परिवर्तित कर रेल गाड़ियों का संचालन करना चाहिए। जिसके चलते तराई के जिलों का सीधा आवागमन एक दूसरे जनपद में हो सके, व्यापार को बढ़ावा मिले। वन विभाग की मांग पर तराई के जिलों के लाइफ लाइन को भूल जाना गलत बात है।
-जंग हिंदुस्तानी, सामाजिक कार्यकर्ता

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