पीलीभीत: नए साल के तीसरे दिन निकली धूप रही बेअसर, गलन ने बढ़ाई ठंड

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Published By Om Parkash chaubey
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पीलीभीत, अमृत विचार : पर्वतीय क्षेत्रों से आ रही बर्फीली हवाओं ने तराई में ठंड बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आगे और भी सर्दी बढ़ेगी। दिन का पारा भी तेजी से गिरेगा। नए साल के तीसरे दिन  बुधवार को दोपहर 12 बजे के बाद धूप तो निकली। मगर बर्फीली हवाओं के चलते धूप बेअसर रही। ठंड की वजह से दोपहिया वाहन चालक ठिठुरते दिखाई दिए। दोपहर तीन बजे के बाद मौसम अधिक ठंडा रहा।

बृहस्पतिवार को भी कोहरे की संभावना जताई गई है।बुधवार को सुबह से ही सर्द हवाओं का प्रकोप जारी रहा। दोपहर 12 बजे तक आसमान में बादल छाए रहे और सूर्य के दर्शन नहीं हो सके। सुबह कोहरा होने की वजह से वाहन सड़कों पर रेंगते रहे। ऐसे में वाहन चालकों को दिक्कत उठानी पड़ी। दोपहर एक बजे के बाद हल्की धूप खिली लेकिन कोई खास राहत नहीं मिल सकी। बर्फीली हवाओं के कारण धूप भी बेसअर रही।

गलन और हवाओं की वजह से दिन भर मौसम ठंडा बना रहा। सर्दी के बचने के लिए अलाव का सहारा लेते दिखे। बुधवार को जिले का अधिकतम तापमान 14.6 डिग्री सेल्सियस रहा। जबकि न्यूनतम 6.01 दर्ज किया गया। वायु गुणवत्ता सूचकांक 96 रहा। गलन की  वजह से लोग ऑफिसों, दुकानों में भी ठिठुरन से बचने के लिए लोगों ने हीटर का सहारा लिया।

बाजार में भी चहल कदमी कम रही। नए साल में सर्दी का सितम बढ़ने के कारण लगातार अधिकतम तापमान में छह डिग्री और न्यूनतम तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई है। सर्दी का प्रकोप अधिक होने से सुबह और शाम के समय सैर पर निकलने वाले लोगों की संख्या भी काफी कम रही और लोग घरों से निकलने में भी कतराते रहे। हवाओं के कारण दोपहिया वाहन चालकों को सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ी।

मौसम बना रहा बीमार: तापमान का उतार-चढ़ाव लोगों को बीमार बना रहा है। बुधवार को मेडिकल कॉलेज में मरीजों की सुबह से लाइन लगी  रही। जहां मरीज पर्चा बनवाने के बाद डॉक्टरों के चैंबर के बाहर लाइन में लगे दिखे।  मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में 876 पर्चे बने। इनमें 50 फीसदी मरीज बुखार, खांसी, जुकाम, सर्दी  आदि के रहे।

कार्यवाहक प्राचार्य मेडिकल कॉलेज डॉ. संजीव सक्सेना ने बताया कि बदलते मौसम के चलते बुखार और खांसी के मरीज अधिक आ रहे हैं। ओपीडी में बैठने वाले सभी डॉक्टरों को निर्देश दिए है कि वह निर्धारित समय तक ओपीडी करें। दवाओं की उपलब्ध बनी हुई है। इसलिए किसी भी मरीज को बाहर की दवा न लिखें।

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