बरेली: टूटे रिश्तों को जोड़ रहा सखी वन स्टॉप सेंटर, पति-पत्नी के बीच के विवादों को सुलझा रहा
आठ साल में 99 फीसदी मामलों का निस्तारण कर घर टूटने से बचाए
बरेली, अमृत विचार। जिंदगी भर साथ चलने का वादा करने वाले बीच सफर में ही हमसफर को छोड़ रहे हैं। ऐसे टूटते रिश्तों को बचाने का काम सखी वन स्टॉप सेंटर कर रहा है। आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं। आठ वर्षों में सेंटर ने 99 फीसदी मामलों में पति और पत्नी के बीच सुलह कराकर घर टूटने से बचाए हैं। यहां घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न जैसी समस्याओं से जूझ रहीं पीड़ितओं को एक ही छत के नीचे पांच तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं। अफसरों के मुताबिक जिन मामलों में सुलह नहीं हो पाती है, उन्हीं प्रकरणों को विधिक कार्रवाई के लिए संबंधित थानों में भेजा जाता है।
सेंटर की प्रबंधक चंचल गंगवार के अनुसार पहले महिलाएं सेंटर पर आने में झिझकती थीं। अगर आ भी जाती थीं तो शिकायत दर्ज कराना नहीं चाहती थीं। सिर्फ इतना चाहती थीं कि उनके साथ घरेलू हिंसा न हो, विधिक कार्रवाई से भी मना कर देते थीं, लेकिन कुछ वर्षों में बदलाव आया है। अब महिलाएं बेझिझक सेंटर पर आती हैं। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 में सबसे कम 96 और 2023-24 में सबसे अधिक 748 घरेलू हिंसा के मामले सामने आए थे। इसमें भी सबसे ज्यादा एक-दूसरे पर शक और दहेज उत्पीड़न के मामले थे। पिछले आठ वर्षों में कुल 3044 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें 3010 मामलों का निस्तारण कराया जा चुका है। कुछ ही मामले ऐसे हैं, जिन्हें विधिक कार्रवाई के लिए संबंधित थानों में भेजा गया है।
एक ही छत के नीच पांच तरह की सुविधाएं
पीड़ित महिलाओं को एक ही छत के नीचे सखी-वन स्टॉप सेंटर में पांच तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराईं जाती हैं, जिसमें पुलिस सहायत, काउंसलिंग, चिकित्सा, विधिक कार्रवाई, अल्पावास और निशुल्क भोजन। यहां पीड़िताओं अल्पवास के रूप में पांच दिन रहने की सुविधा दी गई है। अफसरों के अनुसार प्रतिदिन 45 मिनट मामलों में सुलह के लिए काउंसलिंग होती है।
सेंटर ने आठ साल में तीन हजार से अधिक महिलाओं के दंपती जीवन की डोर मजबूत की है। अल्पावास में पीड़ित महिलाओं को तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं-चंचल गंगवार, प्रबंधक, सखी-वन स्टॉप सेंटर
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