हीटर या ब्लोवर : बंद कमरे में लगातार इस्तेमाल मुश्किल में डाल सकता जान, बिगड़ सकती तबियत, दम घुटने का भी खतरा

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Published By Nitesh Mishra
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बंद कमरे में लगातार इस्तेमाल मुश्किल में डाल सकता जान।

सर्दियों में कमरा बंद करके हीटर या ब्लोवर चलाकर सोते हैं, तो सावधान हो जाएं। यह आदत मुश्किल में डाल सकती है। कई बारे ऐसे मामलों में दम घुटने या जान जाने तक की घटनाएं हो चुकी हैं।

कानपुर, अमृत विचार। सर्दियों में कमरा बंद करके हीटर या ब्लोवर चलाकर सोते हैं, तो सावधान हो जाएं। यह आदत मुश्किल में डाल सकती है। कई बारे ऐसे मामलों में दम घुटने या जान जाने तक की घटनाएं हो चुकी हैं। इसकी वजह  बाहर की हवा अंदर नहीं आना और कमरे में ऑक्सीजन खत्म हो जाना है।

हैलट, उर्सला, केपीएम और कांशीराम अस्पताल में इस समय औसतन 10 से 15 मरीज ऐसे पहुंच रहे हैं, जिन्हें हीटर या ब्लोवर के अधिक इस्तेमाल के कारण खांसी, सांस लेने में दिक्कत, त्वचा का सूखापन और खुजली जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। चेस्ट अस्पताल और कार्डियोलॉजी संस्थान में भी हीटर-ब्लोवर के कारण पीड़ित होकर मरीज रोज पहुंच रहे हैं।

ठंड से बचने के लिए इस समय अधिकांश घरों में रूम हीटर-ब्लोवर का इस्तेमाल किया जा रहा है। बंद कमरे में इसके प्रयोग से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस बन जाती है। इस गैस की अधिकता से दम घुटने का खतरा रहता है। ऐसे में  कमरे में हीटर या ब्लोवर चलाएं तो दरवाजा या खिड़की  थोड़ा खोलकर रखें। श्वांस और दिल की बीमारी से पीड़ित मरीज अधिक देर तक ब्लोवर और हीटर के संपर्क में न रहें। 

कमरे की ऑक्सीजन सोख लेती कार्बन-मोनोऑक्साइड 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो.अरुण कुमार आर्या ने बताया कि ब्लोवर से कार्बन-मोनोऑक्साइड गैस निकलती है, जो आक्सीजन को बंद कमरे में सोख लेती है। यह स्थिति बड़ों के साथ बच्चों को खासा नुकसान पहुंचाती है।  

कोरोना संक्रमित, गर्भवती नवजात को ज्यादा दिक्कत

मुरारी लाल अस्पताल के डॉ.अवधेश कुमार के मुताबिक कार्बन-मोनोऑक्साइड गैस से कोरोना संक्रमित, गर्भवती महिलाओं, नवजात व बुजुर्गों को खतरा ज्यादा रहता है। फेफड़े व सांस संबंधी रोगी, ब्लडप्रेशर व एनीमिया के शिकार व्यक्तियों को बंद कमरे में लगातार हीटर-ब्लोवर का लगातार इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

यह समस्या हो सकती

-    त्वचा में सूखापन, रूखापन, खुजली जैसी समस्या हो सकती है।
-    कमरे की नमी खत्म होना अस्थमा पीड़ित को परेशान कर सकती है। 
-    हवा में रूखेपन से आंखे सूखने लगती हैं। इससे संक्रमण या एलर्जी पैदा हो सकती है। 
-    सूखी हवा नाक, श्वांस नली और फेफड़ों में खुजली तथा खांसी का कारण बनती है।


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