बरेली: इधर, नगर निगम में स्वच्छता का जश्न, उधर डीएम ने दिया एसटीपी की जांच का आदेश
बरेली, अमृत विचार। एक तरफ मेयर और नगर आयुक्त की अगुवाई में स्वच्छता सर्वेक्षण में देश में 80वीं रैंक मिलने का मशाल जुलूस निकालकर जश्न मनाया जा रहा था दूसरी तरफ डीएम रविंद्र कुमार सराय तल्फी में बने 35 एमएलडी के एसटीपी को दो महीने से सिर्फ 10 एमएलडी क्षमता पर चलाए जाने पर जांच के आदेश दे रहे थे।
समीक्षा बैठक में बताया गया था कि नगर निगम के नौ नाले एसटीपी से न जुड़ पाने की वजह से वह पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहा है। डीएम ने एसटीपी की सिर्फ भौतिक नहीं, वित्तीय जांच का निर्देश देते हुए सात दिन में रिपोर्ट मांगी है। शुरू होने के बाद अब तक उसके रखरखाव पर हुए खर्च का ब्योरा भी मांगा है।
दरअसल, सराय तल्फी में लगे एसटीपी के एक तिहाई क्षमता से भी न चल पाने की वजह से शहर का गंदा पानी ही नदियों में जा रहा है। शुक्रवार को विकास भवन सभागार में हुई गंगा समिति की बैठक में डीएम रविंद्र कुमार ने सख्त नाराजगी जताई तो जल निगम के एई ने बताया कि नगर निगम के नौ नाले अब तक एसटीपी से नहीं जुड़ पाए हैं।
डीएम ने अफसरों की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि एसटीपी के पूरी क्षमता से चलने की वजह से शेष गंदा पानी नदियों और स्रोतों को गंदा कर रहा है। यह सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों की अवहेलना है। डीएम ने इस पर भी नाराजगी जताई कि उन्होंने दो महीने पहले जल निगम के अफसरों को प्लांट की क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया था, फिर भी कुछ नहीं किया गया।
डीएम ने ए़डीएम प्रशासन को प्लांट की वित्तीय और भौतिक जांच के लिए चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित करने और उसमें जल निगम के एक्सईन, एक्सईएन बाढ़ खंड, कोषाधिकारी और इफ्को आंवला के एसटीपी विशेषज्ञ को शामिल करने का निर्देश दिया। डीएम ने सात दिन में रिपोर्ट मांगी है। कमेटी जांच करेगी कि प्लांट की क्षमता क्यों नहीं बढ़ पा रही है और उसके शुरू होने से अब तक मेंटीनेंस पर कितना पैसा खर्च किया गया है।
ये भी पढे़ं- विधवा पेंशन फर्जीवाड़ा: तत्कालीन डीपीओ, बीडीओ समेत नौ अधिकारियों को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि
