कानपुर के कॉर्डियोलॉजी संस्थान के एक डॉक्टर की अनोखी पहल… अब अपने पर्चों पर आरएक्स की जगह लिखेंगे राम

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में संस्थान के एसोसिएट प्रो. नीरज कुमार ने की व्यक्तिगत पहल।

कानपुर के कॉर्डियोलॉजी संस्थान के एक डॉक्टर अब अपने पर्चों पर आरएक्स की जगह राम लिखेंगे। कॉर्डियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर नीरज कुमार ने यह फैसला किया है।

कानपुर, अमृत विचार। एलपीएस हृदय रोग संस्थान (कॉर्डियोलॉजी) के एक डॉक्टर अब अपने पर्चों पर आरएक्स की जगह राम लिखेंगे। कॉर्डियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर नीरज कुमार ने यह फैसला किया है। रावतपुर स्थित कॉर्डियोलॉजी संस्थान में अभी तक पर्चे पर डॉक्टर अन्य डॉक्टरों की तरह आरएक्स लिखते हैं। आरएक्स का जुड़ाव इजिप्ट के गॉड होरेस से है। जिनकी आंख की बनावट आर जैसी थी।

एसोसिएट प्रो. नीरज कुमार ने बताया कि आरएक्स लिखने का मतलब यह होता है कि जो दवाई हम आपको दे रहे हैं, आप वो खाएं और ईश्वर ( इजिप्ट के गॉड होरेस) आपको ठीक करें। यह सिंबल पश्चिमी देशों की देन है, जो एक जमाने से चला आ रहा है।

लेकिन अब संस्थान में एसोसिएट प्रो.नीरज कुमार ने अपने पर्चे पर आरएक्स की जगह राम लिखना शुरू किया है। उनका कहना है कि इससे लोगों को सनातनी होने का अहसास होगा। इसलिए यह पहल की गई है। बताया कि राम के नाम के साथ उनका धनुष बाण भी बना हुआ है। 

पहले बना चुके हैं राम किट 

एसोसिएट प्रो. नीरज कुमार ने इससे पहले हृदय रोगियों के लिए 7 रुपये की राम किट बनाई थी। जिसमें हार्ट अटैक के लक्षण दिखने पर ली जाने वाली 3 जरूरी दवाएं रखी गई हैं। उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक के लक्षण दिखने पर मरीज को प्राथमिक इलाज मिलना बेहद जरूरी होता है। सर्दी के मौसम में दिल के रोगियों को राम किट जरूर अपने पास रखनी चाहिए, जिसकी कीमत मात्र 7 रुपये है।

इस किट में इकोस्प्रिन, सोर्बिट्रेट व रोसुवैस 20 टैबलेट शामिल हैं। हार्ट अटैक के तुरंत बाद मरीज को यह दवाएं देने से जान बचने की संभावना अधिक रहती है। बताया कि इकोस्प्रिन दिल में थक्के बनने से रोकती है। रोसुवैस कोलेस्ट्रोल को कम करने का काम करती है। दोनों को पानी के साथ खाना है। जबकि सोर्बिट्रेट दवा को चूस कर खाना है।

डॉ.नीरज कुमार व्यक्तिगत तौर पर ऐसा कर रहे है। संस्थान की ओर से कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है न ही उन्होंने उच्चाधिकारियों से कोई अनुमति ली है। ऐसा करना नियम के विरूद्ध भी है। इस संबंध में उनसे वार्ता की जाएगी।- प्रो. राकेश वर्मा, निदेशक कॉर्डियोलॉजी संस्थान

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