एक महीने की जेल भी नहीं तोड़ सकी थी मनोबल : नागेंद्र भारती
श्रीराम शिला पूजन के दौरान हुई जेल और ढ़ांचा विध्वंस के दौरान संभाली कारसेवकों के भोजन की जिम्मेदारी
संतकबीरनगर, अमृत विचार। जैसे जैसे श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तिथि करीब आती जा रही है वैसे वैसे कारसेवकों के जेहन में संघर्ष की यादें भी ताजा होती जा रही हैं। ऐसे ही एक कारसेवक नागेंद्र भारती जो वर्ष 1984 में अविभाजित जनपद बस्ती के विश्व हिन्दू परिषद के जिला महामंत्री रहे उन्होंने अपनी आपबीती सुनाने के दौरान खासे रोमांचित नजर आए। उन्होंने बताया कि वर्ष 1984 में देश भर में सत्याग्रह आंदोलन चलाया गया। जिसके परिणाम स्वरूप तत्कालीन केंद्रीय सरकार के निर्देश पर श्रीराम जन्मभूमि का ताला खोला गया और वहां पूजा-पाठ शुरू हुआ। बाद में गांव गांव शिलापूजन कार्यक्रम शुरू हुआ।
उत्तर प्रदेश में तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पूरी ताकत से आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि संगठन द्वारा बस्ती जिले में उन्हें कारसेवकों की दो सौ टोलियां गठित कर अयोध्या भेजने का निर्देश मिला था। उन्होंने 150 टोलियों का गठन भी कर दिया था, लेकिन इसी बीच 9 अक्टूबर 1990 को जब वरिष्ठ भाजपा नेता कल्याण सिंह को कर्वी में गिरफ्तार कर लिया गया तो रात के डेढ़ बजे अपर पुलिस अधीक्षक बस्ती के नेतृत्व में भारी पुलिस बल ने उनका मकान घेरकर उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान एक महीने जेल में रहने के बाद भी उनका मनोबल नहीं टूटा। जेल से छूटने के बाद एक बार फिर पूरी ताकत से आंदोलन में जुटे और पुलिस की सारी मुस्तैदी को धता बताते हुए एक दिसंबर 1992 को मोटरसाइकिल पर सवार होकर अयोध्या पहुंचे। यहां रायबरेली रोड पर स्थित मऊ शिवाले पर कारसेवकों के लिए भोजन तैयार कराने की जिम्मेदारी मिली।
6 दिसंबर 1992 को जब विवादित ढ़ांचा तोड़कर नेस्तनाबूद कर दिया गया तो बेहद सुकून मिला। आज भब्य राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है तो हम सभी कारसेवकों का हृदय आह्लादित है। उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को रामराज्य की स्थापना होगी। अब राम जी के बताए रास्ते पर चल रही केंद्र और प्रदेश सरकार अयोध्या को उसका खोया गौरव लौटाने में जुटी है। हर देशवासी प्रफुल्लित है और घर-घर दीपावली मनाने की तैयारियां हो रही हैं।
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