शाहजहांपुर: शहद से जीवन में मिठास घोल रहे जिले के किसान, आम खेती की तुलना में अच्छी आमदनी

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Published By Om Parkash chaubey
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शाहजहांपुर, अमृत विचार: जिले के कुछ किसान परंपरागत खेती को छोड़कर शहद उत्पादन कर जीवन में मिठास घोल रहे हैं। शाहजहांपुर में उत्पादित शहद की बरेली, मेरठ और निजी कंपनियों में मांग है। कांट, जलालाबाद, मिर्जापुर और खुदागंज क्षेत्र में उत्पादिन शहद बरेली, मेरठ की बाजार के साथ-साथ निजी कंपनियों में बेचा जा रहा है। इससे किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है। गन्ना और गेहूं किसानों की परंपरागत खेती मानी जाती है।

आय बढ़ाने के लिए किसानों ने इसके अलावा भी विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है। जिले के करीब 35 किसानों ने मधुमक्खी पालन का कारोबार करते हुए अपनी आय बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसमें कांट और पुवायां के सबसे ज्यादा किसान शामिल हैं। उद्यान विभाग के अधिकारियों के अनुसार कुछ साल पहले तक गिने-चुने किसान ही मधुमक्खी का पालन करते थे। अब इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।

शहद कंपनियों की ओर से स्थानीय पालकों से शहद खरीदकर प्रोसेसिंग के बाद ऊंचे दामों पर बेचा जाता है। एक किलो शहद चार से पांच सौ रुपये प्रति किलो बिकता है। जिला उद्यान विभाग के अधिकारियों के अनुसार एक बॉक्स में साल में लगभग 25 लीटर शहद का उत्पादन आसानी से हो जाता है और एक वीघा में 20 से ज्यादा बॉक्स रखे जा सकते हैं।

पेटियों के पास ही एक वीघा जमीन पर मधुमक्खियां के भोजन के लिए फूल वाली फसलों को उगाया जा सकता है। इस तरह देखें तो सिर्फ एक साल में एक ही पेटी से 12500 रुपये की आमदनी की जा सकती है। जबकि दो वीघा से लगभग ढाई लाख रुपये सालाना तक की आय हो सकती है।

शहद उत्पादन से परंपरागत खेती से ज्यादा मुनाफा लिया जा सकता है। किसान अपने खेतों व बागों में फसलों के साथ भी मधुमक्खी का बॉक्स रख सकते हैं। इससे फसल उत्पादन के साथ शहद उत्पादन किया जा सकता है।

कृषि साधन का मिल चुका है दर्जा: 10 अगस्त 2022 को भारत सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में कदम उठाते हुए शहद के प्रोसेसिंग व मार्केटिंग में सहयोग उपलब्ध कराने की बात कही थी। साथ ही मधुमक्खी पालन को कृषि इनपुट (एक साधन) के रूप में मान्यता दे दी थी। इसके बाद से मधुमक्खी पालन को खाद, बीज और कीटनाशक की तरह कृषि उत्पादन बढ़ाने के एक साधन के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इससे कृषि उत्पादन बढ़ने के साथ शहद उत्पादन और निर्यात भी बढ़ रहा है। 

मधुमक्खी के पालन से काफी किसान जुड़ गए हैं। कांट और पुवायां में सबसे ज्यादा किसान मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। शहद ने उनकी जिंदगी बदल दी है।- राघवेंद्र सिंह, जिला उद्यान अधिकारी

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