जानवरों का शिकार करते-करते अपनों का हत्यारा बन गया लल्लन उर्फ गब्बर, कोतवाली तक पीटते हुए ले गए थे ग्रामीण, बाप ने भी कर दिया था बेदखल

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। राजधानी में मलिहाबाद क्षेत्र में एक ही परिवार के तीन लोगों को मौत के घाट उतारने वाले सिराज उर्फ लल्लन ने करीब तीन दशक तक गब्बर के नाम से अपनी पहचान कायम रखा था। उसे यह नाम इलाके के लोगों ने उसके खौफ को देखते हुए दिया था। गब्बर को जानवरों का शिकार करने का शौक था। इसलिए उसने लांग रेंज की रायफल और बंदूक का लाइसेंस ले रखा था। किसे पता था कि जानवरों का शिकार करते-करते वो एक दिन इतना हैवान बन जाएगा कि अपने ही परिजनों को गोलियों से भून डालेगा।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक लल्लन के पिता खलील मलिहाबाद के बड़े जमीदार थे। उनके दो बेटे और पांच बेटियां थी। लल्लन इसमें सबसे छोटा था। पारिवारिक संपन्नता ने लल्लन को बिगड़ैल मिजाज का बना दिया था। आए दिन इलाके के लोगों से मारपीट करना उसकी आदत में सुमार हो गया था।

बात 20 साल पुरानी है जब लल्लन का खौफ इलाके में इतना बढ़ गया कि वो जिस रास्ते गुजरता लोग रास्ता खाली कर देते थे। पिता के रसूख और राजनीतिक पकड़ का भी लल्लन फायदा उठाने लगा। दबदबा कायम रखने के लिए उसने अपने ही गांव के लोगों पर जुल्म शुरू कर दिया। लेकिन जब जुल्म बढ़ा तो ग्रामीणों ने हिम्मत करके विरोध करा शुरू किया। हालात यह बन गए कि गांव वालों ने एक राय होकर एक दिन लल्लन को पकड़ लिया और लात-घूसों से पीटते हुए मलिहाबाद कोतवाली ले गए। वहां उसके खिलाफ मारपीट का केस दर्ज किया गया।

इस घटना से खलील के सम्मान को बड़ा ठेस पहुंचा। उन्होंने कुछ दिनों बाद ही लल्लन को घर से निकाल दिया। कुछ समय तक वो लखनऊ के खदरा इलाके में किराए के मकान में आशियाना बनाए रखा। इसके बाद दुबग्गा में जमीन लेकर घर बनवाया और परिवार के साथ वहां शिफ्ट हो गया।

घुड़सवारी और विदेशी कुत्ते पालने का शौकीन है गब्बर

गब्बर के नाम से पहचान बना चुके लल्लन को घुड़सवारी और विदेशी नश्ल के खतरनाक कुत्ते पालने का शौक है। उसके भतीजे गौस मोहम्मद का आज भी मलिहाबाद में घोड़ों और कुत्तों का फार्म है। साथी ही लल्लन को शिकार करने का भी शौक है। स्थानीय लोगों के मुताबिक 90 के दशक तक वो इलाके में खुलकर नीलगाय और वन्य जीवों का शिकार करता रहा। धीरे-धीरे सरकार ने पाबंदियां बढ़ाई तो वो कतर्नियां और पीलीभीत के जंगलों में शिकार के लिए जाने लगा। लोगों के मुताबिक शिकार के लिए उसने कई विदेशी हाथियार अवैध रूप से रखे थे। इसपर पर्दा डालने के लिए उसने दो असलहों का लाइसेंस ले रखा था।

चचेरे भाई-सगी भतीजी और नाती का कर दिया कत्ल

स्थानीय लोगों के मुताबिक लल्लन का कुनबा इलाके में बहुत बड़ा है। उसने जिस फरहीन को गोली मारी वो लल्लन की सगी भतीजी है। लल्लन ने उसे उंगली पकड़कर चलना सिखाया था। उसकी गोली का शिकार मुनीर चचेरा भाई था और फरहीन का 15 साल का बेटा हंजला रिश्ते में नाती था। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जानवरों का शिकार करते-करते लल्लन इतना हैवान बन गया कि अपनों को ही गोलियों से भून डाला।

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