रामपुर : इमाम हुसैन ने 28 रजब को शुरू किया मदीने से मक्का का सफर - मौलाना अली मोहम्मद नकवी

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Published By Bhawna
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 इमाम हुसैन ने यजीद की बैअत नहीं की कुबूल,  मकबरा जनाबे आलिया, इमामबाड़ा किला और आगापुर स्थित कर्बला में हुईं मजलिसें

मकबरा जनाबे आलिया में मजलिस को खिताब करते मौलाना अली मोहम्मद नकवी।

रामपुर, अमृत विचार। मौलाना अली मोहम्मद नकवी ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने 28 रजब को मदीने से मक्का तक का सफर शुरू किया। इमाम हुसैने ने यजीद की बैअत कुबूल नहीं की। इमाम हुसैन के सफर के आगाज करने की याद में जुमे की नमाज के बाद मकबरा जनाबे आलिया, आगापुर स्थित कर्बला और किला स्थित इमामबाड़ा में मजलिस मातम हुआ। 

मकबरा जनाबे आलिया में मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना ने कहा कि एक सफर नवासे ने किया मदीने से मक्के का, एक सफर एक हिजरत नबी ने की मक्के से मदीने तक। नवासा-ए-रसूल हजरत इमाम हुसैन का सफर मदीने से मक्का तक जबकि, नबी-ए-करीम का सफर मक्के से मदीने तक हुआ। कहा कि रसूले अकरम मक्के मदीने से क्यों आए ताकि, इस्लाम आगे बढ़े। इस्लाम परवान चढ़े।

नाना का सफर इस्लाम को फैलाने के लिए है जबकि, नवासे का सफर इस्लाम को बचाने के लिए है। नाना सैयदुलमुर्सलीन, नवासा सैयदुल औलिया, नाना खातिमुल नबीईन, नवासा खातिमुल नबीईन की आगोश में सवार होने वाला। नाना वह है जो अर्श पर रहा तो अर्श मोअल्ला रहा। नवासा वह है जो कर्बला पहुंचा तो कर्बला मोअल्ला बनी। नाना ने अर्श को मोअल्ला बनाया। जबकि, नवासे ने कर्बला को मोअल्ला बनाया। कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने मदीने में यजीद की बैअत कुबूल नहीं की और सफर की तैयारी शुरू कर दी।

इससे पहले हजरत इमाम हुसैन अपने नाना मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम की कब्र पर पहुंचे और कहा नाना हुसैन का आखिरी सलाम लीजिए। इसके बाद मां की कब्र पर पहुंचे और कहा मां मुझे चक्कियां पीसकर पाला अब आखिरी सलाम ले लो। इसके बाद भाई हसन की कब्र पर पहुंचकर आखिरी सलाम किया। यह सुनकर अकीदतमंद जारो कतार रोने लगे। मजलिस में मौलाना मूसा रजा, मिर्जा मुज्तबा अली बेग, अकबर रिजवी, असलम महमूद, सलमान मियां, कमल रिजवी, शान जैदी, अब्बास हैदर, जौहर सैफी, तबरेज आब्दी, हसीन मियां, लाडले हुसैन, मेहंदी हुसैन, आरिफ हुसैन, मंसूर मियां समेत काफी तादाद में लोग मौजूद रहे।

नवाब मुर्तजा अली खां की हुई बरसी की मजलिस
नवाब मुर्तजा अली खां इब्ने नवाब रजा अली खां की बरसी पर ईसाले सवाब की मकबरा जनाबे आलिया में मजलिस हुई। इनके अलावा सैयद शहंशाह नवाब इब्ने सैयद सिंकदर आगा की बरसी पर भी ईसाले सवाब की मजलिस हुई और दुआ की गई। 

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