बरेली: रोजगार समाचार का रहता था इंतजार... वो जमाना कुछ और ही था, देश में 42.3 फीसदी 25 साल से कम उम्र के ग्रेजुएट युवा  हैं बेरोजगार

बरेली: रोजगार समाचार का रहता था इंतजार... वो जमाना कुछ और ही था, देश में 42.3 फीसदी 25 साल से कम उम्र के ग्रेजुएट युवा  हैं बेरोजगार

शब्या सिंह तोमर, बरेली, अमृत विचार : आज की युवा पीढ़ी को शायद ही पता हो कि किसी जमाने में रोजगार समाचार पत्र का कितना क्रेज था। हर सप्ताह आने वाले इस समाचार पत्र में सरकारी नौकरियों की भरमार होती थी। शायद ही कोई बुक स्टॉल होता हो, जिस पर रोजगार समाचार न बिकता हो।

कई बार आते ही सारी प्रतियां बिक जाने से युवाओं को मायूस होना पड़ता था लेकिन अब वह बात नहीं है। रोजगार समाचार पत्र न अब उतनी नौकरियों की सूचनाएं हैं, न उसे कोई खरीदने वाला है। शहर के गिने-चुने स्टॉलों पर अब दो-चार प्रतियां ही बिक पाती हैं।

कहने को कहा जा सकता है कि अब ऑनलाइन सूचनाओं का जमाना है, इसलिए रोजगार समाचार पत्र की भी मांग कम हो गई है लेकिन सिर्फ ऐसा ही नहीं है। करीब 48 पेज का रोजगार समाचार पत्र अब भी मार्केट में आ रहा है लेकिन अब उसमें सामान्य स्तर की नौकरियों की सूचना नहीं है। राज्य सरकार के अधीन नौकरियों का तो नाम तक नहीं है। इसी वजह से इसकी कोई मांग नहीं रह गई है। ज्यादातर बुक स्टॉल वालों ने इसे रखना तक बंद कर दिया है।

ये सूचनाएं भी होती थीं रोजगार समाचार में: एक समय में रोजगार समाचार पत्र में नौकरियों से संबंधित सूचनाओं के साथ आवेदन भरने का फार्मेट, तैयारी के लिए उपयुक्त किताबें, सिलेबस और रिजल्ट जैसी जानकारी भी युवाओं को मिलती थी।

ताजा अंक का हाल: रोजगार समाचार के ताजा अंक में 48 पेजों देश भर में करीब 16 सौ रिक्तियों की सूचना हैं जिनमें अधिकांश रिक्तियों पर भर्ती के लिए अनुभव का अनिवार्यता लागू की गई है। युवाओं के लिए सीधी भर्ती के अवसर न के बराबर हैं। पहले इसमें सभी राज्यों में रोजगार के अवसरों की सूचना होती थी, अब सिर्फ केंद्रीय विभागों की ही रिक्तियां दी जाती हैं।

1976 में हुई शुरुआत_ 48 पेजों के इस समाचार पत्र की शुरूआत 1976 में हुई थी। तब उसकी कीमत 25 पैसे थी। अब इतने ही पेज के रोजगार समाचार पत्र की कीमत 12 रुपये हो चुकी है। यह अखबार हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी समेत तीन भाषाओं में आता है। इसका ऑनलाइन संस्करण भी मौजूद है जिसका मूल्य चार सौ रुपये वार्षिक है। अपडेट भी चाहिए तो 530 रुपये का सब्सक्रिप्शन मिलता है।

अब कोई नहीं पूछता...

पहले भी यह तब बिकता था जब वैकेंसी आती थीं। अब सबकुछ ऑनलाइन उपलब्ध है। उतनी नौकरियां भी नहीं हैं। हमने इसे रखना बंद कर दिया है। - अरविंद, पुस्तक विक्रेता

अब सारी जानकारी आसानी से ऑनलाइन मिल जाती है। इसलिए रोजगार समाचार की मांग न के बराबर है।हमने इसे रखना भी बंद कर दिया है। - केके नारंग, पुस्तक विक्रेता

हम रोजगार समाचार की कॉपियां रखते हैं लेकिन इसकी मांग बाजार में बहुत कम रह गई है। कई-कई दिन में कभी कोई ग्राहक इसे पूछने आता है। - महेंद्र, पुस्तक विक्रेता

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