Budaun News: गंदगी से रहें दूर, इस मच्छर ने काटा तो 15 साल बाद दिखेगा असर
क्यूलेक्स मच्छर के काटने के बाद 15 साल के बाद दिखता है असर, विभाग ने शुरू किया अभियान
बदायूं, अमृत विचार। पिछले साल एक महीने तक चले फाइलेरिया खोजो अभियान के बाद भी एक भी मरीज विभाग को नहीं मिला जबकि अब जिले में फाइलेरिया के चार मरीज सामने आए हैं। इन मरीजों के गांवों में सभी के ब्लड सैंपल लेकर जांच की जाएगी और पूरे गांव को फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएगी। इसके लिए मलेरिया विभाग अभियान चला कर काम करेगा। विभाग के अनुसार क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर के काटने के बाद 15 साल के बाद असर दिखाई देता है। बचाव के लिए अपने घर और आसपास साफ-सफाई रखें।
पिछले साल एक नवम्बर से तीस नवम्बर तक फाइलेरिया खोजो अभियान चलाया गया था। यह अभियान स्वास्थ्य विभाग की मदद से मलेरिया विभाग ने चलाया था। जिले के प्रत्येक ब्लाक से दो पिछड़े गांवों का चयन किया गया था। इन गांवों में मलेरिया विभाग ने रात नौ बजे से अभियान शुरू किया करके 11 बजे तक लोगों को फाइलेरिया बीमारी के बारे में जानकारी दी थी।
ग्रामीणों को बताया गया कि फाइलेरिया एक मच्छर है जो रात में ही निकलता है और घुटनों तक ही काटता है। इसके काटने से हाइड्रोसील की बीमारी हो जाती है। यह जान लेबा बीमारी है। समय पर उपचार नहीं मिलने पर जान भी जा सकती है। इसलिए शासन स्तर से इस बीमारी की जागरूकता के लिए अभियान चलाया जा रहा है। एक महीने तक चले अभियान में विभाग को एक भी फाइलेरिया का मरीज नहीं मिला है।
अब इस साल जनवरी के अंतिम सप्ताह में जिले में चार मरीज मिले हैं। जो एक उसावां में, एक दातागंज में, एक सलारपुर में जबकि एक मरीज शहर में मिला है। इन मरीजों के मिलने से विभाग में बेचैनी बढ़ गयी है। मलेरिया विभाग के मलेरिया निरीक्षकों ने बताया जहां जहां फाइलेरिया के मरीज मिले हैं उनके पूरे गांवों के लोगों को दवा खिलानी होगी।
पूरे गांव के लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे जिससे यह पता लगाया जा सके कि किसी अन्य को तो इस बीमारी के लक्षण नहीं है। इसलिए सभी का सैंपल लेकर जांच को भेजा जाएगा। विभाग का कहना है कि जिन गांवों में फाइलेरिया के मरीज सामने आए हैं उन गांवों में सफाई कराई जाएगी। जिससे मच्छरों के पनपने की गुंजाइश न रहे। नाली नालों को साफ कराया जाएगा। कूडे को हटाया जाएगा। गांव में किसी जगह पर गंदगी नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए ग्राम प्रधानों की मदद ली जाएगी। साथ ही डीपीआरओ को भी इस मामले में अवगत कराया जाएगा।
कम जगहों पर पाया जाता है यह मच्छर
मलेरिया निरीक्षक डॉ. तनवीर ने बताया कि क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फाइलेरिया बीमारी होती है। मच्छर के काटने के करीब 15 साल बाद इसका असर दिखाई देता है। यह मच्छर बहुत कम जगहों पर पाया जाता है। अधिकांश उन जगहों पर ऐसे मच्छर के मिलने की संभावना होती है जहां पर सालों से गंदगी होती है। कभी सफाई नहीं कराई गई हो। अंधेरा हो गंदगी से बदबू आती हो। उस जगह पर इस तरह के मच्छर मिलते हैं जो युवाओं को काटते हैं। यह मच्छर दो फिट से ऊपर नहीं उड़ सकता है इसलिए यह पैरों में ही काटता है।
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