बाराबंकी: PAC के 100 जवान UP Police भर्ती परीक्षा में हुए शामिला, अनुशासन की बेड़ियों से निजात पाने की चुनी राह

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Published By Deepak Mishra
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कवेन्द्र नाथ पांडेय/बाराबंकी, अमृत विचार। पुलिस फोर्स अनुशासन के लिए जानी जाती है। मगर, पीएसी के अनुशासन की बेड़िया अब जवानों को रास नहीं आ रही। ऐसे में तीन से पांच साल तक की सेवा देने वाले करीब एक सैकड़ा जवानों ने इससे निजात पाने को लेकर नई राह चुनी। अब यूपीपी की भर्ती परीक्षा में शामिल होकर थानों की नौकरी के लिए दांव लगा रहे। यह मामला अकेले बाराबंकी का नहीं है। पूरे प्रदेश में ऐसे जवानों की संख्या हजारों के पार होगी।

बाराबंकी की 10वीं वाहिनी पीएसी के करीब 100 जवान विभाग से अनुमति लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस की सीधी भर्ती प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए। यह जवान पीएसी की 2021 और 2019 के है। पीएसी में तीन से पांच वर्ष की सेवा के बाद अब उनको पीएसी का अनुशासन भा नहीं रहा। 

ड्यूटी और अनुशासन का ऐसा मकड़जाल के प्रतिरोध में उन्हें अब घुटन महसूस हो रही है। रोजमर्रा की जरूरत के सामान लेने के लिए चंद कदम की दूरी पर जाने तक की परमिशन नहीं कार्रवाई का डर हमेशा बना रहता। वाहिनी में बने आवास और घर के पास ड्यूटी हो तो भी वह पांच मिनट के लिए नहीं जा सकते। क्योंकि हमेशा कम्पनी कमाण्डर वा दल प्रभारी सभी की निगाहें पीएसी के जवानों पर रहतीं हैं।

 

यह बात हम नहीं स्वयं अनुशासन में बंधे पुलिस भर्ती की परीक्षा देने वाले पुलिस कर्मियों ने नाम प्रकाश में न आने की बात कहते हुए बयां की। उनका कहना था की पीएसी की नौकरी में निश्चित कोई ठिकाना नहीं है। कभी यहां तो कभी वहा पूरे प्रदेश में भेज दिया जाता है। ऐसे स्थानों पर रुकना पड़ता है जहां पर एक माचिस तक जरूरत पर नहीं मिलने वाली। यूपी पुलिस में अनुशासन है पर पीएसी के जैसा बेड़ियों वाला नहीं। 

जवानों को उनकी मांग पर परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति देने का नियम है। जिसके अनुरूप अनुमति दी जाती हैं। यूपी पुलिस की भर्ती परीक्षा में कितने जवान शामिल हो रहे लखनऊ में वीआईपी ड्यूटी पर होने के कारण बता पाना संभव नहीं है..., अरुण कुमार श्रीवास्तव,सेनानायक, 10वी वाहिनी पीएसी, बाराबंकी।

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