पीलीभीत: महिलाएं उठा रहीं परिवार नियोजन की जिम्मेदारी, पुरुष बेपरवाह
पूरे साल में पुरुष की तुलना महिलाएं आगे, 1418 ने कराई नसबंदी
पीलीभीत,अमृत विचार। बढ़ती जनसंख्या पर अंकुश लगाने के लिए शासन की ओर से परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। महिलाएं इसको लेकर गंभीर हैं। इसकी जिम्मेदारी इन्हीं पर है। वहीं पुरुष बेपरवाह बने हुए हैं। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार परिवार नियोजन के साधन अपनाने में महिलाओं की सजगता लगातार बढ़ रही है।
पुरुषों का आंकड़ा इनके मुकाबले काफी कम है। जिले में परिवार नियोजन अभियान के तहत कराई जाने वाली नसबंदी ऑपरेशन में पुरुषों का ग्राफ बेहद कम रहा है। जबकि महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही है। 10 माह में 1418 महिलाओं और 11 पुरुषों ने नसबंदी कराई है। ऐसे में महिलाएं परिवार नियोजन के साधन अपनाने में ज्यादा जागरूकता दिखा रही हैं।
परिवार नियोजन के तहत नसबंदी कार्यक्रम चलाया जाता है। जिसमें स्वास्थ्य विभाग महिला और पुरुषों को जागरूक कर नसबंदी के लिए प्रेरित करता है। शासन की ओर से नसबंदी करने वाले पुरुषों को तीन हजार रुपये मिलते हैं। साथ ही नसबंदी को प्रेरक करने वाले कर्मी को चार सौ रुपये देय होते हैं। महिला नसबंदी में दो हजार रुपये और प्रेरक को तीन सौ रुपये देय किए जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी नसबंदी अभियान जिले में सफल नहीं हो पा रहा है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में जिले में पुरुषों के लिए 30 का लक्ष्य तय किया गया था। जबकि महिलाओं के लिए 2200 की संख्या निर्धारित की गई थी। जिन्हें स्वास्थ्य विभाग को पूरा करना है। जो किसी चुनौती से कम नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार उनकी मॉनीटरिंग करने में लगी हुई है। जिसको लेकर गांव-गांव कैंप और अभियान भी चलाया गया।
मगर इसके बाद भी एक अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक पुरुषों में 11 लोगों ने नसबंदी कराई है। जबकि महिलाओं में 1418 ने नसबंदी कराकर परिवार नियोजन की योजना को अपनाया है। जो पुरुषों के तुलना अधिक है। अगर इससे पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 की बातें करें तो पुरुषों ने 20 के सापेक्ष 12 और महिलाओं ने 2666 की तुलना में 1678 ने ही नसबंदी कराई थी। जिले में कभी निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। मगर हर बार पुरुषों की तुलना में महिलाएं आगे रही हैं।
भ्रांतियों लेकर नहीं करवाते नसबंदी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो पुरुष भ्रांतियां को लेकर नसबंदी नहीं करते हैं। उनका मानना है कि नसबंदी कराने से शारीरिक कमजोरी आती है। इस भ्रांति को मन से निकालकर यह जानना बहुत जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अत्यधिक सरल और सुरक्षित है। इसलिए दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखने के लिए और जब तक बच्चा न चाहें तब तक परिवार नियोजन का प्रयोग करें।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार लोगों को नसबंदी के लिए जागरूक किया जा रहा है। अभी तक जनवरी माह में महिलाओं ने सबसे ज्यादा नसबंदी कराई है। आगे भी अभियान को सफल बनाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। आशा और अन्य संगठनों के माध्यम से गांवों में जागरूकता गोष्ठी कराई जा रही है। अभी तक 1429 नसबंदी कराई जा चुकी है। - डॉ. आलोक कुमार, सीएमओ
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