रामपुर: शब-ए-बारात पर कब्रिस्तानों में हुआ चरागां, सजीं मस्जिदें

रामपुर: शब-ए-बारात पर कब्रिस्तानों में हुआ चरागां, सजीं मस्जिदें

रामपुर, अमृत विचार। शब-ए-बरात पर जिले भर में कब्रिस्तानों में शाम को लोगों ने पहुंचकर अपने-अपने पूर्वजों की कबरों पर चरागां और गुलपोशी(पुष्प अर्पित) कर फातेहा पढ़ी। रात भर मस्जिदों में इबादत हुई। शब-ए-बरात पर जामा मस्जिद समेत शहर की तमाम मस्जिदों को सजाया गया है। मस्जिदों में पूरी रात इबादत हुई और उलेमा ने शब-ए-बरात की फजीलत बयान की। 

शहर के मोहल्ला गुइया तालाब स्थित मकबरा जनाबे आलिया में शिया जामा मस्जिद में मौलाना अली मोहम्मद नकवी ने कहा कि शब-ए-बरात की पूरी रात जो भी शख्स इबादत करता है अल्लाह के दरबार में उसके गुनाह माफ किए जाते हैं। इसीलिए लोग इस रात को रात भर इबादत करते हैं। कहा कि इस्लाम में ऐसी चार रातें हैं, जिनमें लोग निजात हासिल करने के लिए रात भर इबादत करते हैं। 

इनमें पहली आशूरा की रात, दूसरी शबे मेराज, तीसरी शबे बरात और चौथी शबे कद्र है। शब-ए-बरात पर लोग अपने इस दुनिया से गुजर चुके लोगों की निजात के लिए दुआएं मांगते हैं और फातेहा कराते हैं। शाम को कब्रिस्तान में पहुंचकर लोगों ने चरागां किया और कबरों पर फातेहा पढ़ी। कब्रिस्तानों में लोगों भीड़ उमड़ती रही और लोग कबरों पर पहुंचकर दुआएं पढ़ीं और फूल चढ़ाए अगरबत्ती, मोमबत्तियां रोशन कीं। शब-ए-बरात पर कब्रिस्तानों को रंग-रौगन कर सजाया संवारा गया और कबरों पर भी लोगों ने कलई चूना कराया। देर शाम तक लोगों ने अपनों की कबरों पर चिराग रौशन किए और दुआएं पढ़ीं। 

मनाया जाता है इमाम मेहंदी का जन्मदिन
शब-ए-बरात के दिन इमाम मेहंदी अलैहिस्सलाम का जन्मदिन भी है। मुस्लिम कब्रिस्तान में अपनों की कब्र पर फातिहा पढ़ने और रात भर इबादत करने के अलावा इमाम मेहंदी अलैहिस्सलाम का जन्मदिन भी धूमधाम के साथ मनाते हैं। इमामबाड़ा किला की मस्जिद के पेश इमाम मौलाना जमान बाकरी बताते हैं कि 15 शाबान को इमाम मेहंदी का यौमे पैदाइश मनाया जाता है। इस मौके पर पटाखे दागे जाते हैं और महफिले मीलाद होता है। इमाम मेहंदी अलैहिस्सलाम की शान में कसीदे पढ़े जाते हैं।

शहर की जामा मस्जिद में भी हुई सजावट 
शहर की जामा मस्जिद को भी शब-ए-बरात पर रंग-बिरंगी रौशनियों से सजाया गया। रविवार की रात को उलेमा ने तकरीर की और लोगों से नेक राह पर चलने का आह्वान किया। मौलाना रेहान खां ने कहा कि शब-ए-बरात की रात इबादत की रात है। इस रात की इबादत का बहुत सवाब मिलता है। कहा कि शब-ए-बरात की रात इबादत कर मुसलमान अपने गुनाहों से तौबा करें।

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