रामपुर : रमजान के पहले जुमे की नमाज हुई अदा, मांगी अमन की दुआ

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Published By Bhawna
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लोगों ने भरीं मस्जिदें, खुतबे में इमामों ने बयान की रमजान की फजीलत

रमजान के पहले जुमे को शहर की जामा मस्जिद में नमाज अदा करते नमाजी।

रामपुर, अमृत विचार। जिले भर की मस्जिदों में शुक्रवार को रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा की गई। हजारों लोगों ने देश में अमन की दुआ मांगी। इमामों ने नमाज अदा कराने के साथ ही रमजान की फजीलत बयान की। शहर की जामा मस्जिद में काजी-ए-शहर सैयद खुशनूद मियां ने नमाज पढ़ाई। इस दौरान जामा मस्जिद के आसपास काफी तादाद में पुलिस बल तैनात रहा।

शहर की मस्जिदों के आसपास रात से ही सफाई शुरू करा दी गई थी। मस्जिदों में भारी तादाद में लोगों ने जुमे की नमाज अदा की। शहर की जामा मस्जिद में आसपास के गांवों से लोगों ने पूर्वाह्न 11 बजे से पहुंचना शुरू कर दिया था। जामा मस्जिद में काजी-ए-शहर सैयद खुशनूद मियां ने खुतबे में रमजान की फजीलत बयान की। कहा कि यह पहला अशरा है और रहमत का अशरा है। जब रमजान शुरू होता है तो अल्लाह की तरफ से निदा दी जाती है ऐ शख्स अल्लाह के पास आ जा।

कहा कि मुसलमान इस्लाम के बताए हुए रास्ते पर चलें। उनकी तमाम मुसीबतें दूर हो जाएंगी। रमजान के रोजे रखना हर आकिल और बालिग पर फर्ज हैं। अगर एक रोजा भी बिना किसी परेशानी के छोड़ा जाए तो तमाम जिंदगी रोजे रखने से उसका बदला पूरा नहीं किया जा सकता। सिर्फ भूखा-प्यासा रहना ही रोजे का मकसद नहीं है। फज्र-ए-सादिक से गुरुब-ए-आफताब तक इबादत की नीयत से अल्लाह के लिए खाना, पीना से बाज आना रोजा है। झूठ, बुराई, चुगलखोरी समेत अन्य गुनाह, बुराइयों से अपने को बचाना, यह रोजे की रूह है।

यहां जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सेक्रेट्री मुकर्रम रजा इनायती,  शुऐब मोहम्मद खां, मोहम्मद फैज, सैयद शुऐब मियां, बब्बू अंसारी, खालिद सैफी, शकील उस्मानी समेत हजारों लोग मौजूद रहे। शहर की मोती मस्जिद, कोयले वाली मस्जिद, राजद्वारा मस्जिद, एक मीनार वाली मस्जिद, कचहरी वाली मस्जिद, मीना बाजार, रेलवे स्टेशन, ज्वालानगर, अजीतपुर आदि मस्जिदें में भी लोगों से खचाखच भर नजर आईं।।

शिया जामा मस्जिद में भी हुई जुमे की नमाज
शहर के मोहल्ला गुइया तालाब स्थित मकबरा जनाबे आलिया में शिया जामा मस्जिद में रमजान उल मुबारक के पहले जुमे को नमाज अदा की गई। मौलाना अली मोहम्मद नकवी ने नमाज से पहले हुए खुतबे में कहा कि माहे रमजान में अल्लाह रोजेदारों की एक-एक नेकी का सत्तर गुना सवाब देता है। इस लिए जरूरी है कि हर आकिल और बालिग माहे रमजान में अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त इबादत में गुजारे। कहा कि माहे रमजान में कुरआन मजीद नाजिल हुआ। इस महीने में ज्यादा से ज्यादा कुरआन मजीद की तिलावत करें। नमाज पढ़ें और रोजा रखें इस सबके साथ गरीबों का भी ख्याल रखें अपने माल की जकात अदा करें।

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