बरेली: किन्नरों और देवी-देवताओं के बीच गहरा संबंध, कई रहस्य खोल रही ये 'मध्यकाल की मूर्ति'!
प्रीति कोहली, बरेली, अमृत विचार। भारतीय समाज में किन्नर को लोग एक अलग ही नजरिए से देखते हैं। कुछ लोग किन्नरों को खुशियों में बधाई देने वाले तो कुछ ऊपरवाले का दिया एक श्राप मानते हैं। इस बीच कुछ लोगों के मन में सवाल उठता है कि किन्नर आखिर हैं क्या ? और क्या यह पौराणिक और प्राचीन काल में भी हुआ करते थे। ऐसे कई सवाल अक्सर लोगों के दिमाग में घूमते रहते हैं।
लेकिन आज हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देने वाले हैं। बता दें कि मध्यकाल के पहले से ही किन्नरों और भगवान का ऐसा संबंध रहा है, जिसे जानने के बाद आप भी हैरान हो जाएंगे। शायद इसके बाद कुछ लोग जो किन्नरों को गलत या शापित मानते हैं उनकी सोच में बदलाव आ जाएगा।
दरअसल, बरेली स्थित महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग में पांचाल संग्रहालय की टेराकोटा आर्ट गैलरी में एक ऐसी मूर्ति संजोकर रखी गई है। जो आपकी सोच में परिवर्तन लाने के साथ हैरान कर देने वाली है।
बता दें कि इस गैलरी में रखी मध्यकाल की यह मूर्ति ऐसी है जो बेहद खूबसूरत और अद्भुत है। जिसमें माता लक्ष्मी भगवान गणेश सहित किन्नर भी नजर आते हैं। इस मूर्ति को देखकर साफ नजर आता है कि देवी-देवताओं और किन्नरों का भी एक अलग संबंध रहा है। जिसे यह मूर्ति बखूबी दर्शा रही है।
इस मूर्ति के बारे में पांचाल संग्रहालय के रिसर्च एसोसिएट डॉ हेमंत मनीषी शुक्ला बताते हैं कि लक्ष्मी गणेश सहित किन्नर बदामी प्रस्तर मध्यकाल की यह मूर्ति है। जिसको आप बहुत ध्यान से देखेंगे तो माता लक्ष्मी और भगवान गणेश नजर आएंगे। जो मूर्ति कला के रूप में अलंकित प्रदर्शित हो रहे हैं।
जिनके साथ ही गंधर्व किन्नर को भी देवी-देवताओं के रूप माना गया है। जो इस रूप में भी दिखाई पड़ते हैं। इस बड़ी ही अद्भुत और विलक्षण प्रतिमा में माता लक्ष्मी भगवान गणेश और किन्नर तीन ही ऊपर की दिशा में उड़ते हुए नजर आ रहे हैं।
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