Chitrakoot: कपड़े की झोली में गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने पर मजबूर हुए परिजन, जिम्मेदार बोले- 'स्थिति आड़े आ जाती है'
चित्रकूट, अमृत विचार। विकास की लंबी चौड़ी बातें उन जगहों पर बेमानी है, जहां सड़क जैसी सामान्य सुविधा तक के लिए ग्रामीणों को तरसना पड़े। तीर्थक्षेत्र के पास के कई गांव-मजरों के बाशिंदों को आनेजाने में तमाम तकलीफें होती हैं। बीते दिन एक मजरे की गर्भवती महिला को बांस के सहारे कपड़े की झोली में ग्रामीण अस्पताल ले जा रहे थे कि उसने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया। इसका वीडियो वायरल होने के बाद ग्रामीणों को मिले असुविधा के अभिशाप का पता चला।
कहने को तो मप्र में डबल इंजन की सरकार कई सालों से है पर यहां के कई गांव-मजरों में विकास की एक किरण तक नहीं पहुंची। ऐसा ही एक गांव है तीर्थक्षेत्र अंतर्गत मप्र की नगर पंचायत चित्रकूट का। यहां के वार्ड नंबर 15 थर पहाड़ में बीते दिन सुबह संगीता मवासी पत्नी अशोक कुमार को प्रसवपीड़ा हुई। घरवालों ने आननफानन में उसे अस्पताल ले जाने की सोची। मुख्य सड़क से मजरे की दूरी लगभग पांच किमी है।
वहां तक आनेजाने के लिए इनको पगडंडीनुमा रास्ते से जाना पड़ता है। परिजनों ने एक बांस में धोती बांधकर झोली का रूप दिया और उसमें संगीता को ले जाने लगे। रास्ते में ही संगीता ने एक बच्चे को जन्म दे दिया। महिला के साथ रहे परिजनों ने किसी तरह से स्थिति को संभाला और फिर जच्चा-बच्चा को मुख्य सड़क लाए। जहां से किसी वाहन से उसे लेकर लगभग बीस किमी दूर मझगवां पहुंचे और अस्पताल में भर्ती कराया।
लगभग चार सौ वोटरों वाले इस मजरे में शिक्षा की कमी भी अखरती है। आदिवासीबहुल इस पूरे इलाके में अपने लिए आवाज न उठा पाने की विवशता से ये लोग असुविधाओं का अभिशाप झेल रहे हैं। जब इसका वीडियो वायरल हुआ तभी लोगों को इनकी मजबूरियों का पता लगा।
इस संबंध में नगर पंचायत के सीएमओ (चीफ म्युनिसिपल आफीसर) विशाल सिंह ने बताया कि कई बार इस सड़क को बनाने की कोशिश की गई पर यहां की स्थिति आड़े आ जाती है। बरसात में सड़क की मिट्टी आदि घुल जाती है।
इस बार इसे सीसी रोड बनाने का प्रस्ताव है। रोड का इस्टीमेट लगभग पांच करोड़ का है। टेंडर हो चुका है। चुनाव होते ही इसका निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सड़क न होने से ग्रामीणों को लगभग पांच किमी तक पैदल चलना पड़ता है। वाहन आदि जाने में भी दिक्कत होती है।
