Etawah: जाको राखे साइयां मार सके न कोई...कहावत हुई सच, पारिवारिक विवाद में वृद्धा ट्रेन के नीचे लेटी, फिर हुआ ये

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Published By Nitesh Mishra
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इटावा में वृद्धा ट्रेन के नीचे लेट गई

इटावा, अमृत विचार। जाको राखे साइयां मार सके न कोई, बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय यह कहावत रविवार को उस समय चरितार्थ हुई जब एक वृद्धा पारिवारिक विवाद के चलते जीवनलीला समाप्त करने के लिए कालका मेल के नीचे लेट गई थी। इतना ही नहीं ट्रेन के पांच डिब्बे वृद्धा के ऊपर से गुजर गए, लेकिन उसे एक खरोंच भी नहीं आई। ड्राइवर की सूझबूझ से महिला की जान बच गई। इस पर परिवारीजनों ने हर्ष व्यक्त किया।

जसवंतनगर थानाक्षेत्र के गांव खेड़ा मौहकम सिंह की रहने वाली 65 वर्षीय वृद्धा का अपने परिवार में किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। रविवार की सुबह वह अपने घर से यह कहकर निकली थी कि शहर के लाइनपार विजय नगर स्थित वह अपनी बेटी के घर जा रही है। 

महिला अपनी बेटी के घर तो नहीं गई, लेकिन वह रामनगर रेलवे क्रॉसिंग पर आकर रुक गई। इसी बीच कालका मेल इटावा जंक्शन पर आ रही थी ट्रेन को देखकर वृद्धा पटरी के बीच लेट गई, जब ट्रेन के ड्राइवर की नजर पड़ी तो उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोका तब तक वृद्धा के ऊपर से पांच डिब्बे निकल चुके थे।

ड्राइवर ने अन्य लोगों की मदद से महिला को ट्रेन के नीचे से निकाला और इटावा जंक्शन पर इसकी सूचना दी। महिला को जब ट्रेन के नीचे से निकाला गया तो वह पूरी तरह से सुरक्षित थी और उसके एक खरोंच भी नहीं आई थी।

जानकारी मिलते ही स्टेशन अधीक्षक पीएम मीना आरपीएफ के एसआई अजब सिंह एएसआई मुकेश विश्वकर्मा महिला कांस्टेबल कंचन कांस्टेबल मुकेश कुमार मौके पर पहुंचे और महिला को जंक्शन पर लेकर आए। 

महिला से पूछताछ के बाद उसके बेटे का नंबर लिया और उसे सूचना दी गई। अन्य रिश्तेदार भी वृद्धा के जंक्शन पर आ गए थे, परिवारीजनों के मुताबिक वृद्धा का मानसिक संतुलन काफी समय से ठीक नहीं था। एएसआई मुकेश विश्वकर्मा ने बताया कि लिखा पड़ी के बाद वृद्धा को उसके पुत्र के सुपुर्द कर दिया गया।

पूरे दिन इटावा जंक्शन पर होती रही महिला की चर्चा

ट्रेन गुजरने के बाद भी जीवित बची महिला की चर्चा पूरे दिन इटावा जंक्शन व आसपास के क्षेत्र में होती रही । जब महिला जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक पर बैठी थी और आरपीएफ पूछताछ कर रही थी तो महिला को देखने के लिए लोगों का मजमा सा लगा रहा। 

लोगों का कहना था कि इस महिला के पुण्य कर्म थे जो ट्रेन के पांच डिब्बे ऊपर से गुजरने के बाद भी महिला को खरोंच तक नहीं आई साथ ही लोगों ने कालका मेल के ड्राईवर की सूझबूझ की भी सराहना की।

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