भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने लिया कानपुर लोकसभा सीट पर चर्चाओं का संज्ञान; तय होगी जिम्मेदारी और जवाबदेही

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने लिया कानपुर लोकसभा सीट पर चर्चाओं का संज्ञान; तय होगी जिम्मेदारी और जवाबदेही

विशेष संवाददाता, अमृत विचार। कानपुर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी रमेश अवस्थी को लेकर सामने आई चर्चाओं का संज्ञान लेते हुए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव अभियान पर नजर जमाई है। तय हुआ है कि चुनाव प्रचार अभियान और मतदान का माइक्रो मैनेजमेंट करने के साथ पार्टी के प्रभावशाली नेताओं को विधानसभा वार जिम्मेदारी दी जाएगी। केंद्रीय नेतृत्व के दखल और रमेश अवस्थी को टिकट दिलाने में सूत्रधार रहे बड़े नेताओं की चिंता से गुटबाजी शांत हो चुकी है। 

जानकारी के मुताबिक भाजपा के कुछ प्रमुख नेताओं को फोन करके प्रत्याशी की जीत में जुटने के लिए कहा गया है। सूत्रों के मुताबिक नेतृत्व मान रहा है कि मोदी और योगी के कामों के चलते प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित है, लेकिन स्थानीय संगठन को सामंजस्य के साथ जमीन पर उतरकर अपने कील-कांटे दुरुस्त रखने होंगे। 

गौरतलब है कि सरसैया घाट पर गंगा मेला में प्रत्याशी के इर्दगिर्द घेरा डालने वाले भाजपाइयों की सक्रियता के कारण वरिष्ठ नेता मौजूद होने के बाद भी रमेश अवस्थी से थोड़ा दूर ही रहे थे। इस बीच प्रत्याशी रमेश अवस्थी लगातार संगठन के साथ जुड़कर अभियान तेज करने में लगे हैं। वह मंडल अध्यक्षों से घरों पर मिलने जा रहे हैं। वहां मंडल व बूथस्तर के पदाधिकारी भी उपस्थित रहते हैं।  

ब्राह्मण वोटों पर सेंधमारी के लिए कांग्रेस बता रही है ‘बाहरी’ 

कानपुर सीट पर भाजपा से रमेश अवस्थी, कांग्रेस-सपा से आलोक मिश्रा और बसपा से कुलदीप भदौरिया चुनाव मैदान में हैं। 33 वर्षों में पहली बार ऐसा है कि कानपुर से दोनों प्रमुख दलों सपा-कांग्रेस गठबंधन और भाजपा के प्रत्याशी कान्यकुब्ज ब्राह्मण हैं। ऐसे में कांग्रेस ब्राह्मण वोटों पर सेंधमारी कर सकती है। इस समीकरण से चुनावी परिदृश्य दिलचस्प हो सकता है। 

हालांकि राम मंदिर की स्थापना औैर हिंदुत्व के मुद्दे पर ब्राह्मणों का बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ है। कांग्रेस प्रत्याशी आलोक मिश्रा इसी कारण  भाजपा के प्रत्याशी रमेश अवस्थी को ‘बाहरी’ कह रहे हैं, जवाब में रमेश अवस्थी कानपुर से अपने पुराने और मजबूत संबंधों पर जोर दे रहे हैं।

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