नैनीताल: स्टोन क्रशरों पर 50 करोड़ जुर्माना माफ करने के मामले में अगस्त होगी सुनवाई

Amrit Vichar Network
Published By Bhupesh Kanaujia
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विधि संवाददाता, नैनीताल, अमृत विचार। हाईकोर्ट ने नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी के कार्यकाल के दौरान विभिन्न स्टोन क्रशरों पर अवैध खनन एवं भंडारण पर लगे लगभग 50 करोड़ जुर्माने को माफ करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने अगली सुनवाई को अगस्त की तिथि नियत की है। 

सोमवार को राज्य सरकार के पूर्व के आदेश के क्रम में रिपोर्ट पेश की गई, लेकिन रिपोर्ट हिंदी में होने के कारण कोर्ट ने सरकार से इसका अंग्रेजी में अनुवाद कर पेश करने को कहा। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इस रिपोर्ट का अध्ययन करने को भी कहा है। मामले के अनुसार सामाजिक कार्यकर्ता चोरगलिया निवासी भुवन पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि वर्ष 2016-17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी ने कई स्टोन क्रशरों के अवैध खनन व भंडारण के जुर्माने के लगभग 50 करोड़ रुपए माफ कर दिए।

जिलाधिकारी ने उन्हीं स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ किया, जिन पर जुर्माना करोड़ों में था। जबकि जिन पर कम जुर्माना था उनको माफ नहीं किया। इसकी शिकायत मुख्य सचिव, सचिव खनन से की गई तो उसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई। कहा गया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है। जब याचिकाकर्ता ने शासन से इसका लिखित रूप में जवाब मांगा तो आज की तिथि तक उन्हें इसका लिखित जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने सूचना का अधिकार मांगा कि डीएम को किस नियमावली के तहत अवैध खनन व भंडारण पर लगे जुर्माने को माफ करने का अधिकार प्राप्त है।

इसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी औद्योगिक विभाग उत्तराखंड ने कहा कि लोक प्राधिकार के अंतर्गत यह धारित नहीं है। जनहित याचिका में कहा गया कि जब लोक प्राधिकार में उक्त नियम धारित नहीं है तो जिलाधिकारी ने कैसे स्टोन क्रशरों पर लगा करोड़ों का जुर्माना माफ कर दिया। औद्योगिक विभाग ने 21 अक्टूबर 2020 को इसपर  आख्या प्रस्तुत करने को कहा था जो प्रस्तुत नहीं की गई। याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इसपर कार्यवाही की जाए क्योंकि यह प्रदेश राजस्व की हानि है।