Kanpur News: जच्चा-बच्चा अस्पताल में जल्द बनेगी एचडीयू; गंभीर महिला रोगियों को मिलेगा लाभ

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Published By Deepak Shukla
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अभी गंभीर गर्भवतियों को हैलट के आईसीयू में करना पड़ता है रेफर

कानपुर, अमृत विचार। हैलट के जच्चा-बच्चा अस्पताल में अभी तक आईसीयू की सुविधा नहीं है। ऐसे में यहां आने वाली गर्भवती महिलाओं को गंभीर हालत होने पर हैलट की आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है। गंभीर हालत में उन्हें जच्चा-बच्चा अस्पताल से स्ट्रेचर पर हैलट तक ले जाने में काफी दिक्कतों का सामना पड़ता है। गंभीर मरीजों की परेशानी को देखते हुए अब जच्चा-बच्चा अस्पताल में एचडीयू की स्थापना की जाएगी। 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हैलट अस्पताल के अधीन बाल रोग, जच्चा-बच्चा और मुरारीलाल चेस्ट अस्पताल व संक्रामक रोग अस्पताल हैं। हैलट में जब से जच्चा-बच्चा अस्पताल बना है, तब से यहां पर इंसेंटिव केयर यूनिट (आईसीयू) की सुविधा नहीं है। आईसीयू के संबंध में कुछ विभागाध्यक्षों ने प्रयास जरूर किया, लेकिन कुछ बात बन नहीं सकी। ऐसे में अभी तक अस्पताल में अगर किसी भी महिला या गर्भवती की हालत अधिक खराब होती है तो उनको गंभीर स्थिति में हैलट के आईसीयू में रेफर किया जाता है। 

जच्चा-बच्चा अस्पताल से हैलट आईसीयू तक जाने में संबंधित मरीज की स्थिति और बिगड़ जाती है। वहीं, स्ट्रेचर से करीब तीन सौ मीटर की दूरी तय करने में सड़क के गड्ढे मरीज की हालत खराब कर देते है। मरीजों की दिक्कतों को देखते हुए कुछ माह पहले स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.नीना गुप्ता ने अस्पताल में हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) बनाने की मांग की थी, जिसे अनुमति मिल गई है। यहां वार्ड नंबर पांच में हाई डिपेंडेंसी यूनिट बनाई जाएगी। एचडीयू में इस्तेमाल होने वाले कुछ उपकरण अस्पताल प्रशासन को मिल गए हैं। 

विभागाध्यक्ष डॉ. नीना गुप्ता ने बताया कि एचडीयू में आठ बेड होंगे। इस यूनिट के लिए एसी आ गए हैं। वार्ड में ऑक्सीजन की सुविधा है। यहां पर गंभीर गर्भवती व महिला का इलाज किया जाएगा। यूनिट के लिए अभी अलग से स्टाफ नहीं मिला है, इसलिए इसकी शुरुआत फिलहाल अस्पताल में मौजूद स्टाफ की मदद से की जाएगी। अप्रैल माह के अंत तक इसका संचालन शुरू हो सकता है। 

डफरिन में स्टाफ नर्स का चल रहा प्रशिक्षण 

डफरिन अस्पताल में शहर के साथ ही आसपास जिलों से महिलाएं इलाज के लिए आतीं हैं। यहां पर गंभीर मरीजों के लिए हाई डिपेंडेंसी यूनिट बनी है, जिसका संचालन स्टॉफ की कमी की वजह से नहीं हो पा रहा है। जबकि यूनिट में मॉनीटर, बाईपेप मशीन, सभी बेड पर मल्टी पैरा ऑक्सीजन आदि उपलब्ध हैं। फिलहाल एचडीयू के संचालन के लिए स्टाफ नर्स आ गई हैं, जिनको प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं, केपीएम अस्पताल में गंभीर रूप से पीड़ित गर्भवती के इलाज की सुविधा नहीं है। 

कांशीराम अस्पताल में भी खास सुविधा नहीं 

रामादेवी स्थित कांशीराम अस्पताल में मातृ एवं शिशु अस्पताल बना है, लेकिन यहां भी एचडीयू की सुविधा न के बराबर है। यहां गर्भवतियों का प्रसव तो कराया जाता है, लेकिन जरा सी जटिलता होने पर उनको हैलट के जच्चा-बच्चा या डफरिन अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। वहीं, कुछ डॉक्टरों को अपने या परिचित डॉक्टरों के नर्सिंग हो में ऑपरेशन आदि जटिलता का इलाज कराने की सलाह देती हैं।

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