रुद्रपुर: छह सालों से शवों का अकेले पोस्टमार्टम कर रहा पीआरडी का जवान

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Published By Bhupesh Kanaujia
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रुद्रपुर, अमृत विचार। जिला मुख्यालय में स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी चरमरा गई है। मुख्यालय स्थित पोस्टमार्टम हाउस में पीआरडी का एक जवान पिछले छह सालों से अकेला शवों का पोस्टमार्टम कर रहा है, जबकि पोस्टमार्टम हाउस में तीन पोस्टमार्टम कर्मियों की आवश्यकता है। बावजूद इसके एक ही पीआरडी जवान पर शवों के पोस्टमार्टम का भार डाला हुआ है। चौबीस घंटे ड्यूटी करने के कारण पोस्टमार्टम हाउस की व्यवस्था चरमराने लगी है।

बताते चलें कि जिला मुख्यालय स्थित पुराना जिला अस्पताल परिसर में मुख्यालय का पोस्टमार्टम हाउस बना हुआ है। जहां प्रतिमाह 30 से 35 शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है। सुविधाओं व व्यवस्था के अभाव में चल रहे पोस्टमार्टम हाउस में पिछले छह साल से पीआरडी की ड्यूटी करने आए मनीष कुमार अब अपनी ड्यूटी भूलकर शवों के चीर फाड़ में लग गए है,जबकि नियमानुसार पीएम हाउस में तीन प्रशिक्षित पोस्टमार्टम हाउस कर्मी के पद रिक्त पड़े हुए है।

बावजूद इसके अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने इस व्यवस्था पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं किया और चौबीस घंटे अकेले शवों का पोस्टमार्टम करने का भार अकेले पीआरडी जवानों के कंधों पर डाल दिया है। जिसकी वजह से पोस्टमार्टम हाउस में शवों के पीएम कराने के दौरान समय की बर्बादी सहित व्यवस्था पटरी से उतरने लगी है,जबकि पीआरडी जवान कई बार विभाग को पोस्टमार्टम हाउस कर्मी में स्थाई नियुक्ति देकर समायोजित करने या फिर महज पीआरडी की ड्यूटी करने के लिए पत्राचार कर चुका है,लेकिन पत्राचार का अभी तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया।

पुरानी व्यवस्था में चरमराती व्यवस्था
रुद्रपुर। पोस्टमार्टम हाउस में शव विच्छेदन के कार्य के लिए प्रशिक्षित चतुर्थ श्रेणी कर्मी का होना जरूरी माना जाता है,लेकिन मुख्यालय पर आज भी वर्षों पुरानी व्यवस्था चली आ रही है। बताया जा रहा है कि पुराना चीर फाड़ करने वाला कर्मी नये कर्मचारी को शवों का विच्छेदन करना सीखता है और यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है। प्रशिक्षण देकर नियुक्ति देने की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग में अभी तक प्रारंभ नहीं हुई है।

डयूटी पीआरडी, काम मिला चीरफाड़ का
रुद्रपुर। वर्ष 2019 में पीआरडी जवान मनीष कुमार को इस आशय से पोस्टमार्टम में ड्यूटी पर लगाया गया था कि वह पोस्टमार्टम के दौरान पुलिस और चिकित्सकों को सहयोग करेगा। व्यवस्था के अभाव में वर्तमान में पीआरडी जवान शवों के चीरफाड़ कर रहा है,जबकि उसका वेतन पीआरडी जवान की मिलती है और कार्य पोस्टमार्टम में शवों के चीरफाड़ का करना पड़ रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब जवान प्रशिक्षित हो चुका है,तो उसे स्थाई नियुक्ति देकर पोस्टमार्टम कर्मी की ड्यूटी में क्यों नहीं समायोजित किया गया।

स्वास्थ्य विभाग के सिस्टम में चतुर्थ श्रेणी कर्मी व्यवस्था समाप्त हो गई है। पिछले लंबे समय से आउटसोर्स के माध्यम से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर पत्राचार किए जा रहे है। बावजूद इसके अभी तक कोई भी चतुर्थ श्रेणी कर्मी नहीं मिला और कोई कर्मी तैयार भी नहीं रहा है। बावजूद इसके पीआरडी जवान सिस्टम के तहत अपना आवेदन भरेगा,क्योंकि उसकी नियुक्ति पीआरडी कार्यालय से हुई है और वह वेतनधारक जवान है। ऐसे में व्यवस्था के सुधार के प्रयास जारी है।
- डॉ मनोज कुमार शर्मा,सीएमओ ऊधमसिंह नगर


कई बार स्वास्थ्य विभाग,जिला प्रशासन के अलावा शासन को पत्राचार किया गया। उनकी मांग है कि जब पोस्टमार्टम हाउस में पीआरडी की ड्यूटी का दायित्व ही नहीं पूर्ण हो रहा है और वर्तमान में वह शवों का चीर फाड कर रहे है। ऐसे में पीआरडी जवान के दायित्व से मुक्त कर स्थाई नियुक्ति देने की मांग लगातार की है। बावजूद इसके अभी तक कोई नियुक्ति नहीं दी,जबकि प्रतिमाह शव विच्छेदन का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। परिवार की जिम्मेदारी निभाने की खातिर मजबूर होकर कार्य किया जा रहा है।

-मनीष कुमार, पीआरडी जवान

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