कासगंज: सड़क पर जय और वीरू बन रहे स्कूली बच्चे, तेज रफ्तार और स्टंट दिखाकर हादसे को दे रहे दावत
सड़क पर स्कूटी सवार दोस्त को पकड़कर तेज रफ्तार से दौड़ते स्कूली बच्चे
मोहनपुरा, अमृत विचार। आजकल बच्चे और युवा आधुनिकता की ओर बहुत जल्दी आकर्षित होते हैं। स्कूली बच्चों में भी यह आकर्षण देखा जाता है। स्कूल की छुट्टी होने के बाद अधिकांश बच्चे झुंड बनाकर वापस लौटते देखे जाते हैं। इन युवाओं पर पाश्चात्य संस्कृति और हिंदी फिल्मों का असर भी काफी हद तक पड़ता है जिससे प्रभावित होकर ये युवा तरह तरह की लापरवाही करना शुरू कर देते हैं।
ऐसा ही एक वाकया जनपद के सोरों रोड पर देखने को मिला जब दो युवा स्कूल की छुट्टी होने के बाद सड़क पर जय और वीरू बने दिखाई दिए। जिस प्रकार फिल्म शोले में जय और वीरू के बीच दोस्ती का फिल्मांकन किया गया उसी से प्रभावित दोनों युवा सड़क पर दोस्ती का प्रदर्शन कर रहे थे। एक स्कूटी पर सवार था तो दूसरा साइकिल पर।
साइकिल पर जा रहे युवा ने स्कूटी सवार मित्र के बैग को पीछे से पकड़ रखा था। दोनों स्कूटी की तेज रफ्तार से सड़क पर फर्राटा भर रहे थे। उन दोनों को इस बात का तनिक भी अहसास नहीं था कि इसका परिणाम दुखदाई भी हो सकता है। ऐसे युवाओं के अभिभावकों को इस ओर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है जिससे वो अपने बच्चों का उचित मार्गदर्शन कर सकें।
यातायात जागरूकता अभियान का नहीं हो रहा असर
शासन और प्रशासन की तरफ से समय समय पर स्कूलों में विद्यार्थियों के हित के लिए यातायात जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। इस दौरान यातायात नियमों की जानकारी और विशेषकर सड़क पर चलने के तरीके समझाए जाते हैं। जिससे स्कूल आते और छुट्टी के बाद वापस घर जाते वक्त किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओं की रोकथाम हो सके।
किंतु बेफिक्र युवाओं पर इसका कोई असर नहीं होता है जिस कारण वो लापरवाही का प्रदर्शन करने लगते हैं। प्रायः 12 से 18 वर्ष तक के युवाओं में ऐसा देखा जाता है। यह अवस्था अति उत्साही होती है जिसमें युवावर्ग तेज गति से वाहन चलाना, तरह तरह के स्टंट करना, यातायात नियमों का पालन न करना आदि लापरवाहियों को अंजाम देने में जरा भी संकोच नहीं करते हैं।
नाबालिग बच्चों को दोपहिया वाहन चलाने पर है प्रतिबंध
दोपहिया वाहन चलाने के लिए शासन द्वारा 18 वर्ष की न्यूनतम आयु निर्धारित की गई है। इससे कम उम्र के बच्चों और युवाओं को वाहन चलाने की अनुमति नहीं है। किंतु लाड़ प्यार में पले बड़े कुछ बच्चे जिद कर अभिभावकों से वाहन ले लेते हैं।
युवाओं के साथ साथ अभिभावकों को इस ओर विशेष ध्यान देते की आवश्यकता है कि शासन द्वारा निर्धारित नियमों का अनिवार्य रूप से पालन करें। अपने लाडलों की अनुचित जिद को पूरा न करें, क्योंकि यही वह उम्र होती है जब उत्साह से लबरेज युवाओं में प्रतिस्पर्धा की ओर विशेष ध्यानाकर्षण होता है। यहां अभिभावकों की जिम्मेदारी भारी भूमिका अति महत्वपूर्ण है।
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