अयोध्या: भूमि प्रकृति परिवर्तन मामले में किसानों की मांग, माझा जमथरा का सर्वे पूर्ण कराया जाए

अयोध्या: भूमि प्रकृति परिवर्तन मामले में किसानों की मांग, माझा जमथरा का सर्वे पूर्ण कराया जाए

अयोध्या, अमृत विचार। शहर से सटे मांझा जमथरा की भूमि प्रकृति परिवर्तन मुद्दे को लेकर अयोध्या विकास प्राधिकरण अधिकारियों से किसानों की जमकर बहस हुई। किसानों ने राजस्व प्रशासन को भी घेरा। कहा कि 34 सालों से ग्राम सभा का नक्शा नहीं बना तो ऐसे में प्रकृति कैसे तय की जा रही है। इतना ही नहीं किसानों नेे गांव का सर्वे पूरा कराने की मांग उठाई।

सुझाव और आपत्ति निस्तारण के लिए बुलाई गई बैठक में कई मामलों पर बहस हुई। किसान व भू स्वामियों ने कहा कि राजस्व कर्मियों तक को नहीं पता कौन सी ज़मीन किसकी ? कौन सा गाटा कहाँ है ? ऐसे में जब खेवटदार भूस्वामियों के गाटे चिह्नित नहीं किए जा सकते तो नजूल के गाटों को किस विधा से चिह्नित किया जा रहा ? बिना ग्राम का सर्वे पूरा किए मनमाने ढंग से किसी भी रकबे को नजूल बताकर जबरन कब्जा लेने का प्रशासन पर आरोप भी लगाया।

बता दें कि अयोध्या विकास प्राधिकरण ने शहर अयोध्या फ़ैज़ाबाद से सटे ग्राम माझा जमथरा के गाटा संख्या 57 की लैंड यूज़ परिवर्तन की प्रक्रिया हेतु जनसामान्य से सुझाव और आपत्तियों के निस्तारण के लिए विकास प्राधिकरण सभागार में खुली बैठक का आयोजन किया था। जिसमें प्राधिकरण उपाध्यक्ष अश्वनी पाण्डेय , सचिव सत्येन्द्र सिंह सहित कई अधिकारी और सैकड़ों ग्रामवासी उपस्थित रहे।

सभी ने सामूहिक रूप से गाटा संख्या 57 की भूमि प्रकृति परिवर्तन का स्वागत करते हुए समस्त 57 नंबर गाटे की भूमि प्रकृति बदलने की माँग की। प्रशासन की योजना 57 नंबर गाटे में नजूल की 517 बीघा भूमि के 30  एकड़ भूखंड की प्रकृति चेंज करने की योजना है। जिसका सख़्त विरोध ग्राम वसियों ने किया। ग्राम वसियों ने अनुरोध किया कि उनके साथ दोहरा मापदंड न अपनाया जाए।

उन्हें भी अयोध्या के विकास की योजनाओं में लाभार्थी बनाया जाना चाहिए। कहा एक तरफ़ प्रशासन उसी ग्राम सभा में अपने उपयोग के लिए भूमि प्रकृति परिवर्तन कर रहा है बड़े बड़े भवन बना रहा है वही दूसरी ओर ग्रामवासियों की नगरीय ज़मीन को जो शहर के सर्वाधिक नज़दीक और रामजन्मभूमि से सटी है उसे पार्क और खुला स्थान बताकर निष्प्रयोज्य कर दे रहा है।

माझा जमथरा ग्राम के जमीदार अनिल द्विवेदी ने अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए आग्रह किया कि ग्राम सभा माझा जमथरा का सर्वे पूर्ण कराया जाए। जिससे नजूल और भू स्वामियों की भूमि की भौतिक स्थिति स्पष्ट हो सके। बैठक में मौजूद एडीएम वित्त एवं राजस्व महेन्द्र सिंह से ग्राम वसियों की चिंता साझा करते हुए अनिल द्विवेदी ने कहा कि राजस्व विभाग नजूल की ज़मीन बताकर 2004 में लगभग 800 बीघा ज़मीन सरयू के बंधे के लिए ले चुका है। लेकिन राजस्व अभिलेखों में नजूल का क्षेत्रफल से ये रक़बा आज तक नहीं घटाया गया।

इसी के साथ परिक्रमा मार्ग में भी लगभग एक हजार बीघा ज़मीन नजूल के नाम पर ली गई लेकिन नजूल के रकबे से आज तक ये रक़बा घटाया नहीं गया। वहीं 2021-24 के मध्य लगभग 200  बीघा ज़मीन गुप्तार घाट पर पार्क सौंदर्यी करण नजूल सरकार बताकर ली गई लेकिन अभिलेखों में आज भी नज़ूल का रक़बा कम नहीं हुआ।

ऐसी विसंगति की जाँच होनी चाहिए। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री  ने सुझावों का स्वागत किया और आश्वासन दिया कि शासन के संज्ञान में यह प्रकरण लाया जाएगा। बैठक में धर्मेंद्र सिंह, शरद पाठक बाबा, अश्विनी कपूर, नवनीत प्रधान, विशाल यादव, पुनीत यादव,  सुनीता पांडेय सहित सैकड़ों ग्रामवासी उपस्थित रहे।

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