बरेली: सितारगंज हाईवे...कहीं अधर में न लटका रह जाए 2857 करोड़ का प्रोजेक्ट
भूमि अधिग्रहण पूरा होने से पहले ही शुरू हुआ हाईवे को चौड़ा करने का काम, बरेली से सितारगंज तक फंसे हैं कई पेच
बरेली, अमृत विचार। सितारगंज हाईवे को चौड़ा करने के लिए भूमि अधिग्रहण का काम पूरा होने से पहले ही निर्माण शुरू कर दिया गया है। एनएचआई सितंबर 2025 तक काम पूरा करने के लिए तय की गई डेडलाइन को इसकी वजह बता रहा है। एनएचआई के अफसरों ने तेजी से भूमि अधिग्रहण पूरा करने के लिए पीलीभीत और ऊधमसिंहनगर के डीएम को पत्र भी लिखा है। हालांकि सात महीने की देरी पहले ही हो जाने की वजह से यह प्रोजेक्ट समय से पूरा हो पाना मुश्किल हो गया है। अधिग्रहण में कोई पेच फंसा तो 2857 करोड़ का यह प्रोजेक्ट अधर में लटक जाने की भी आशंका जताई जा रही है।
बरेली से सितारगंज तक 71 किलोमीटर लंबा हाईवे फिलहाल टू लेन का है जिसे चौड़ा करके फोरलेन किया जाना है। बरेली जिले की सीमा में हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण का काम पूरा हो चुका है, ज्यादातर किसानों को इसका मुआवजा भी दे दिया गया है। कुछ ही किसानों का मुआवजा बकाया रह गया है। एयरपोर्ट के आगे पेड़ों को काटने के साथ खाई खेड़ा के पास मिट्टी का भराव शुरू कर दिया गया है। करीब 26 मीटर चौड़ा फोरलेन हाईवे बनाने के लिए इस सड़क को दोनों तरफ 9-9 मीटर चौड़ा किया जाना है।
हाईवे को चौड़ा करने का काम शुरू करने के लिए अक्टूबर 2023 की डेडलाइन तय की गई थी लेकिन भूमि का अधिग्रहण न होने के कारण सात महीने की देरी हो गई है। करीब दस दिनों से किसानों के खाते में मुआवजे की राशि आनी शुरू हो गई है। हाईवे को चौड़ा करने का काम दो चरणों में होना है। पहले चरण में बरेली से पीलीभीत तक हाईवे चौड़ा करने के लिए 32.5 किलोमीटर भूमि की जरूरत है लेकिन अभी 20 किलोमीटर भूमि का ही अधिग्रहण हो पाया है। दोनों जनपदों को मिलाकर करीब 12 किलोमीटर की जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होना अभी बाकी है। तमाम किसानों को भी मुआवजे की धनराशि भेजी जानी बाकी है।
पीलीभीत और ऊधम सिंह नगर का प्रशासन भूमि अधिग्रहण में नहीं दिखा रहा दिलचस्पी
भूमि अधिग्रहण समय से न होने के कारण इस प्रोजेक्ट का समय से पूरा होना अब मुश्किल माना जा रहा है। टेंडर की शर्तों के मुताबिक यह प्रोजेक्ट 23 महीने के अंदर पूरा किया जाना है, लेकिन स्थिति यह है कि करीब सात महीने की देरी पहले ही हो चुकी है लेकिन इसके बाद भी दूसरे चरण के काम के लिए पीलीभीत और उधमसिंह नगर का प्रशासन कुल मिलाकर 38.5 किलोमीटर जमीन का अधिग्रहण नहीं कर पाया है। एनएचआई के अफसरों ने दोनों जनपदों के डीएम को पत्र लिखा है कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाए ताकि काम बाधित न हो।
रिठौरा में मकानों का मुआवजा न देने से भी फंसा पेच
हाईवे को चौड़ा करने के रास्ते में रिठौरा नगर पंचायत के पास करीब 10 मकान भी आ रहे हैं। इस जगह किसानों को तो मुआवजा दे दिया गया है लेकिन मकानों का मुआवजा दिया जाना बाकी है। इस कारण यहां काम शुरू करने में पेच फंसा हुआ है। मकानों में रह रहे लोगों का कहना है कि जब तक उन्हें वाजिब मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक वे मकान नहीं गिराने देंगे।
जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी न होने की वजह से काम शुरू करने में सात महीने की देरी हुई है। काम तो शुरू करा दिया गया है लेकिन दूसरे चरण का भी कार्य बाधित न हो, इसके लिए दोनों जनपदों के जिलाधिकारी पत्र भेजा गया है। अगर समय से काम शुरू होता तो समय पर पूरा हो गया होता। मकानों का मुआवजा जल्द ही भेज दिया जाएगा - बीपी पाठक, परियोजना निदेशक एनएचआई।
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