Bareilly News: चुनावी व्यस्तता में टली सुनवाई...किसानों की समस्या और उभर आई

Bareilly News: चुनावी व्यस्तता में टली सुनवाई...किसानों की समस्या और उभर आई

अनुपम सिंह, बरेली, अमृत विचार। जमीनों के विवाद की समस्याओं को सुलझाने के लिए चकबंदी न्यायालयों का रुख करने वाले किसानों को न्याय पाने के लिए लंबा वक्त लग रहा है। लंबित केस इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं। 

अफसरों की चुनाव में ड्यूटी लगी होने की वजह से चकबंदी न्यायालयों में नियमित सुनवाई का क्रम टूट गया है, जिससे किसानों का दर्द और बढ़ गया। बुधवार को लंबी दूरी तय करने के बाद चकबंदी कोर्ट आने वाले किसानों के मामलों में सुनवाई नहीं हो सकी। हां, अगली तारीख जरूर मिल गई। फिलहाल, समस्या अभी बरकरार रहने वाली है, क्योंकि अफसर मतगणना की तैयारियों में व्यस्त हैं।

सीओ की चारों कोर्ट में सबसे ज्यादा 414 मामले लंबित
जिले में चकबंदी की छह कोर्ट हैं। डीजीसी, जिला बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी की एक-एक और सीओ की चार कोर्ट हैं। आंकड़ों के मुताबिक सीओ की चारों कोर्ट में इस समय 414 वाद लंबित हैं। इसमें पांच साल पुराने सिर्फ चार केस बताए जा रहे हैं, जबकि तीन से पांच साल के 43, एक से तीन साल के 86 और एक वर्ष के भीतर के 281 केस हैं। जबकि जिला बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी की कोर्ट में 156 वाद लंबित चल रहे हैं, इसमें एक साल के अंदर के 136 और एक से तीन साल के अंदर के 20 मामले हैं। 

इसके अलावा डीजीसी की कोर्ट में कुल 224 वाद लंबित हैं। 128 मामले एक साल के हैं। 85 एक से तीन साल पुराने हैं। तीन से पांच साल के 8 और तीन मुकदमे पांच साल पुराने हैं। चकबंदी अधिकारी भी मानते हैं कि चुनाव में व्यस्तता की वजह से कोर्ट में नियमित सुनवाई नहीं हो सकी, जिसकी वजह से लंबित मामलों की संख्या कुछ बढ़ गई है। चुनाव बाद स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है।

सामान्य दिनों में एक माह में 20 दिन सुनवाई, अभी बमुश्किल चार से पांच
चकबंदी अधिकारियों के अनुसार, सामान्य दिनों में कोर्ट में एक माह में कम से कम 20 दिन सुनवाई की जाती है, जिसमें 100 से 150 मामलों में नियमित सुनवाई कर वादों का निस्तारण करने का दावा किया गया है। हालांकि, अप्रैल में महज 5-6 दिन ही सुनवाई हो सकी। यह स्थिति चकबंदी की सभी न्यायालयों की रही है।

11 बजे से बैठे हैं पता नहीं सुनवाई होगी या नहीं
आंवला के ढका गांव निवासी रामबहादुर बुधवार को तारीख पर सुनवाई के लिए पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि एक साल से भाग दौड़ चल रही है। सुबह 11 बजे से बैठे हैं। ढाई बजने वाले हैं। पता नहीं कि आज भी सुनवाई होगी या नहीं। यहां से घर 14 किलाेमीटर दूर है। आने जाने में 60 रुपया किराया लगता है।

ढका गांव के ही इंद्रपाल भी तारीख पर सीओ की कोर्ट में आए थे। बताया कि पिता ने भूमि का बैनामा कराया था। दाखिल खारिज न होने से साढ़े आठ बीघा जमीन नहीं आ सकी। वाद दायर किए हुए वर्षों बीत गए। हर माह में चार से पांच बार आना पड़ता है। तारीख दी जाती हैं, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाता।

सदर तहसील के करेली गांव के धर्मपाल भीषण गर्मी में कई किलोमीटर का सफर तय करके पहुंचे थे। बताया कि बंटवारे के बाद भी जमीन नहीं मिलने पर वाद दायर कर रखा है। ढाई साल से ज्यादा का समय हो गया है। हर महीने इसी तरह से चार से पांच बार दौड़ लगाते हैं। हर बार नई तारीख थमा दी जाती है।

गांव किशनपुर से पहुंचे बुजुर्ग पीतमपाल ने कहा कि चकबंदी होने के बाद से परेशानी और बढ़ गई है। चकरोड़ नहीं है। वाद दायर है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं है। यहां से घर करीब 15 किलोमीटर है। समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। एक बार आने में कम से कम सौ रुपये खर्च हो जाते हैं।

कुछ समय से नियमित सुनवाई न होने लंबित वादों की संख्या बढ़ी है, लेकिन जल्द इसे ठीक कर लिया जाएगा। 30 से 35 फीसदी मामलों में तारीख बढ़ानी पड़ी। पूरी कोशिश रहती है कि निस्तारण में देर भले लगे, लेकिन गुणवत्तापूर्ण निस्तारण हो, जिससे वादकारी को परेशान न होना पड़े। यही वजह है कि शिकायतों की संख्या अब न के बराबर है।-पवन सिंह, जिला बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी

ये भी पढे़ं- Bareilly News: जंक्शन पर डीआरएम का घेराव कर दिखाए काले झंडे, विभागीय स्थानांतरणों के खिलाफ फूटा NRMU का गुस्सा