Unnao: पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के गृह ब्लाक में पानी का भारी संकट, सूखे तालाबों को भरवाने में असमर्थ रहे अफसर
उन्नाव, अमृत विचार। उन्नाव में सीडीओ प्रेम प्रकाश के निर्देश के बाद भी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के गृह ब्लाक हिलौली में पीने के पानी का जबर्दस्त संकट है। एक ओर जहां तालाब, रजबहा व सरवन ड्रेन (नाला) सूखा पड़ा होने से पशुओं को प्यास बुझाने की समस्या से जूझना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर भूगर्भ जल का स्तर लगातार नीचे जाने से बोरिंग भी फेल हो रही हैं।

बता दें सई नदी के इस तटवर्ती ब्लाक क्षेत्र में ही जहां पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का पैतृक गांव लउआ स्थित है। वहीं सपा के पूर्व विधायक उदयराज यादव सहित पूर्व एमएलसी सुनील साजन के पैतृक गांव भी इसी ब्लाक में शामिल हैं। पूर्व में जहां मौरावां रजबहा व इससे जुड़ी आधा दर्जन से अधिक माइनर (शाखाओं) से गर्मियों में तालाबों को भर दिया जाता था।
वहीं सरवन झील से निकलकर संदौली, बहवा, पारा व गौरी आदि गांवों से होते हुए लउवा के पास सई नदी में गिरता है। ग्रामीणों के मुताबिक करीब 29 किमी लंबी सरवन ड्रेन में पर्याप्त बहाव बना रहता था। इससे गर्मी के दिनों में दुधारू पशुओं को पीने के पानी की दिक्कत नहीं होती थी। वर्तमान समय में तालाबों व ड्रेन में पानी न होने से क्षेत्र का भूगर्भित जलस्तर लगातार नीचे जाता जा रहा है।
इससे क्षेत्र के तमाम देशी हैंड पंप पानी देना बंद कर चुके हैं। वहीं अधिकांश इंडिया मार्का हैंड पंप भी जरूरत के मुताबिक पानी नहीं उपलब्ध करा रहे हैं। यही हाल निजी सबमर्सिबल बोरिंग का भी है। विभिन्न गांवों के लोगों ने बताया कि सबमर्सिबल बीच-बीच में बालू युक्त पानी देने लगते हैं।
इस बार प्रशासन लोकसभा निर्वाचन-2024 संपंन कराने में जुटा रहा, जिससे तालाबों को भरवाने के प्रति तहसील व ब्लाक स्तरीय अधिकारियों ने कोई तवज्जो नहीं दी। चुनाव संपंन होने के बाद सीडीओ ने सभी बीडीओ को तालाब भरवाने का आदेश जारी किया, लेकिन तब क्षेत्र में सिंचाई सुविधा के लिए रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले मौरावां रजबहा में पानी न होने से तालाबों को नहीं भरा जा सका।
वहीं सरवन झील में जरूरत के मुताबिक पानी न होने से ड्रेन में भी धूल उड़ रही है। इससे ब्लाक क्षेत्र के आधा सैकड़ा से अधिक गावों के हजारों पशु पालकों को अपने पशुओं को पीने का पानी उपलब्ध कराना मुश्किल हो रहा है।
जंगल नष्ट होने से हिरन बन रहे शिकार
सरवन ड्रेन व रजबहा के आसपास वन भूमि पर स्थित जंगल में एक सैकड़ा से अधिक हिरन व बारहसिंघा सहित अन्य जंगली पशुओं का आश्रय स्थल बना रहता था। इस बार आग लगने से जंगल नष्ट हो चुका है। साथ ही पीने को पानी भी नहीं मिल रहा है।
इससे यहां रहने वाले तमाम पशु पलायन कर सई नदी के दूरस्थ तटवर्ती स्थान को अपनी शरण स्थल बना चुके हैं। हालांकि मूल स्थान से मोह न भंग होने से वे भटककर बस्ती के पास पहुंचते हैं जहां वे शिकारियों के शिकार बन रहे हैं। वन दरोगा व अन्य कर्मी क्षेत्र का भ्रमण कर शिकारियों द्वारा पशुओं की हानि रोकने को तवज्जों नहीं दे रहे है। इससे क्षेत्र के पशु प्रेमियों में रोष है।
