बाराबंकी: मेंथा को मिला विशिष्ट उत्पाद का तमगा, उद्यान विभाग करेगा जीआई पंजीयन

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Published By Jagat Mishra
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88 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है जिले में मेंथा की खेती

बाराबंकी, अमृत विचार। जिले में मेंथा की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। मेंथा एक नकदी फसल है। देश और विदेश में मेंथा के तेल की भारी मांग है। मेंथा का उपयोग दवा से लेकर सौंदर्य प्रसाधन और खाने-पीने की वस्तुओं में किया जाता है। ऐसे में इसकी खेती कर किसानो को मोटी कमाई होती है। वहीं अब मेंथा की फसल को बाराबंकी जिले का विशिष्ट उत्पाद घोषित किया गया है। जिससे आप केवल स्वयं सहायता समूह कंपनियों एपीओ ही नहीं बल्कि मेंथा की पैदावार करने वाला किसान भी इसका जीआई पंजीकरण करा कर मुख्य प्रोपराइटर बन सकते हैं। शासन से घोषणा होने के बाद कृषि उद्यान विभाग ने इसे लेकर तैयारी पूरी कर ली है। वहीं मेंथा की खेती करने वाले किसानों के चेहरों पर खुशी दिख रही है। 

जिले में लगभग 88 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में मेंथा की खेती होती है। वहीं जीआई पंजीयन से अब कृषक सहकारी समिति एफपीओ, एफपीसी कृषक समूह व उत्पादक समूहों को वरीयता दी जाती थी लेकिन अब इसमें बदलाव करते हुए कृषक समिति एफपीओ, एफपीसी व कृषक समूहों को वरीयता तो दी जाएगी मगर सोसाइटी व कृषि उत्पादन मंडी समिति को सह प्रोपराइटर व सह आवेदक बनाया जाएगा लेकिन उत्पादक ही मुख्य प्रोपराइटर होगा। सरकार द्वारा मेंथा की फसल को जिले का विशिष्ट उत्पाद घोषित किया गया है। इससे मेंथा की खेती कर नकदी फसल करने वाले हजारों किसानों को इससे खासा लाभ होगा। यहां का किसान गेहूं, धान और सब्जियों की पैदावार करने के साथ मेंथा की खेती भी करता है। मेंथा की खेती में काफी लागत भी लगती है। तैयार मेंथा की फसल से तेल निकाल कर खुले बाजार में बेचता है, और नकदी लेकर दूसरी फसलों की तैयारी में जुट जाता है। सरकार द्वारा मेंथा की खेती को एक अलग पहचान देने के साथ संबंधित किसान को ही उत्पादक का मुख्य प्रोपराइटर बनने की व्यवस्था लागू करने से किसानों को खासा लाभ होगा। इसे लेकर मेंथा किसानों में उत्साह देखने को मिल रहा है। जिला उद्यान अधिकारी महेश श्रीवास्तव ने बताया कि मेंथा संबंधित जीआई पंजीयन का कार्य उद्यान विभाग से कराने को निर्देश मिले हैं। इसे लेकर प्रचार-प्रसार किया जाएगा।

पीएम ने कहा था मेंथा प्रोसेसिंग का हब बनेगा जिला
लोकसभा चुनाव के दौरान जनसभा में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुले मंच से कहा था कि  बाराबंकी में मेंथा की खेती बहुत होती है, अब प्रोसेसिंग की जरुरत है। किसानों को प्रोसेसिंग के साधन मिलेंगे तो उनकी तरक्की होगी। बताते चले कि बाराबंकी पूरे प्रदेश में अकेले 33 प्रतिशत मेंथा ऑयल का उत्पादन करता है। वर्तमान में 88 हजार हेक्टेयर में इसकी खेती होती है। पीएम मोदी को मंच पर बाराबंकी का गमछा भी भेंट किया गया था। भाषण के दौरान मोदी ने एक हाथ से गमछे को पकड़ते हुए कहा था कि यहां का गमछा बहुत प्रसिद्ध हो रहा है। हमारे योगी जी ने तो वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट मिशन चलाया है, गमछे को जीआई टैग दिलाया है। दुनिया में कहीं जाता हूं तो यूपी सरकार की वेबसाइट खोलकर देख लेता हूं।

वर्जन-
पहले एक विशेष किस्म के आम को विशिष्ट उत्पाद एवं जीआई पंजीकरण के लिए प्रस्तावित किया गया था लेकिन मेंथा की व्यापकता को देखते हुए शासन द्वारा इसे ही विशिष्ट उत्पाद घोषित किया गया है। जिससे किसानों को काफी लाभ होगा। वहीं जीआई पंजीयन का कार्य मेंथा से संबंधित उद्यान विभाग ही कराएगा। -श्रवण कुमार, उप कृषि निदेशक, बाराबंकी।

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